बनारस में किन्नरों ने कहा, "महिलाएं ही नहीं हमारे साथ भी होता है दुर्व्यवहार, मिले हमें भी सुरक्षा"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: November 2, 2022 09:27 PM2022-11-02T21:27:40+5:302022-11-02T21:35:33+5:30
बनारस भर के किन्नरों ने अस्सी घाट पर धरना देते हुए एक स्वर में आरोप लगाया कि काशी में आज का समाज न केवल महिलाओं के लिए बल्कि उनके लिए भी रहने के लायक नहीं रह गया है। किन्नर वाराणसी प्रशासन से बेहद नाराज नजर आ रहे थे।
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में किन्नरों ने अपने समाज में हो रहे जुल्म के खिलाफ अस्सी घाट पर जमकर धरना-प्रदर्शन किया। जानकारी के मुताबिक इस विरोध-प्रदर्शन में बनारस भर के किन्नरों ने भाग लिया और एक स्वर में आरोप लगाया कि काशी में आज का समाज न केवल महिलाओं के लिए बल्कि उनके लिए भी रहने के लायक नहीं रह गया है।
अस्सी घाट पर धरने से पहले किन्नरों ने कुछ महिलाओं को भी अपने साथ लेकर पूरे क्षेत्र में प्रदर्शन किया। उसके बाद वो एक जत्थे की शक्ल में घाट पर पहुंची। प्रदर्शन के दौरान समाज के कई लोगों ने किन्नरों का समर्थन किया। इस दौरान किन्नरों ने नारी सम्मान, किन्नर सम्मान और समाज नशामुक्ति समेत सुरक्षा संबंधी तमाम नारों से लिए तख्तियों को अपने हाथों में लिये हुए थे।
किन्नरों ने वाराणसी प्रशासन से मांग की कि उन्हें भी सड़कों पर सुरक्षा चाहिए जैसे की आम लोगों की मिलती है। उन्होंने आरोप लगाता कि उनके साथ आये दिन मारपीट और छेड़खानी जैसी घटनाएं होती हैं लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा उनका संज्ञान नहीं लिया जाता है।
धरने पर बैठी कुछ कन्नरों ने यहां तक आरोप लगाया कि जब वो अपने साथ हुई घटनाओं के बारे में शिकायत करने के लिए पुलिस थाने जाती हैं तो वहां भी उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है और कभी-कभी तो उन्हें शिकायत सुने बिना थाने के गेट से ही भगा दिया जाता है।
किन्नरों की मांग थी कि अगर वाराणसी प्रशासन ही हमारे साथ होने वाली घटनाओं का संज्ञान नहीं लेगा और उन पर एक्शन नहीं लेगा तो वह किसके पास अपनी फरियाद लेकर जाएंगी। किन्नरों की सबसे बड़ी मांग थी कि उनके साथ बनारस के घाटों पर भी सरेआम छेड़छाड़ की जाती है और कोई भी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाता है।
किन्नरों ने वाराणसी के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर से मांग की कि उन्हें भी समाज में बराबरी का सम्मान दिया जाए। थाने में उनकी शिकायत पर जल्द सुनवाई और सख्त कार्रवाई की जाए। धर्मस्थली काशी के घाटों को नशाखोरों और चोरों का अड्डा बनने से बचाया जाय और घाट पर किन्नरों के लिए हेल्प डेस्क भी बनाया जाय।