पटना: बिहार में हुई विपक्षी एकता की बैठक के बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के द्वारा राहुल गांधी को दूल्हा बनने की सहाल दिए जाने के निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं। दरअसल, लालू ने यह बता दिया है कि विपक्ष का दूल्हा कौन है? किसके लिए बरात की तैयारी करनी है?
बता दें कि लालू यादव ने राहुल गांधी को एक सलाह देते हुए कहा था कि आप शादी कीजिए और दूल्हा बनिए, हम लोग आपके बाराती में शामिल होंगे। आपकी मम्मी का भी यही कहना है।
अब लालू के इस पूरे बात के एक अलग मायने भी निकाले जा रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है लालू अपने जिस अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उसी अंदाज में उन्होंने भाजपा के सवालों का जवाब दे दिया है कि विपक्ष का चेहरा किसे बनाया जाना है और दूल्हा किसे बनना है।
लालू के इस पूरे बातचीत को समझने वालों का कहना है कि लालू का यह कहना कि आप दूल्हा बनिए का मतलब है कि आप ’पीएम’ पद के लिए आगे बढ़िए और तैयारी शुरू कीजिए और दूसरी बात की हमलोग बाराती बनेंगे का अर्थ है हम लोग आपका समर्थन करने के लिए तैयार हैं।
जिसके बाद अब ऐसा कहा जा रहा है कि लालू ने इशारों ही इशारों में यह बता दिया है कि विपक्ष एकता की मुहिम में किसे प्रधानमंत्री बनाने जाए ने की सहमति मिली है। हालांकि सवाल यह भी बन रहा है कि राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर जब रोक लगा दिया गया है तो फिर वो पीएम की रेस में कैसे बन सकते हैं?
ऐसे में जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी की सदस्यता लोकसभा सचिवालय से रद्द कर दी है। इनके ऊपर मानहानि का केस दर्ज होने के बाद सदस्यता रद्द की गई है और इनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया गया है। लेकिन लोकसभा सचिवालय ने यह निर्णय निचली अदालत के फैसले पर लिया है।
इस लिहाजा अगर राहुल गांधी उपरी आदालत में अपने ऊपर दर्ज मानहानि के केस को लेकर याचिका दायर करते हैं और इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट निचली अदालत के फैसले को रद्द कर देता है तो राहुल फिर से चुनाव लड़ सकते हैं और पीएम बन सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(1) और (2) के तहत प्रावधान है, अगर कोई सांसद या विधायक हत्या, दुष्कर्म, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करता है या किसी आतंकवादी गतिविधि या संविधान को अपमानित करने जैसे आपराधिक षड्यंत्र में शामिल होता है तो संसद और विधानसभा से उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।
इसके अलावा इसी अधिनियम की धारा 8(3) में यह भी प्रावधान है कि ऊपर बताए गए अपराधों के अलावा भी अगर किसी अपराध में विधायक या सांसद को दोषी ठहराया गया और उसे 2 वर्ष से अधिक की सजा सुनाई गई तो इस संबंध में विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द हो सकती है।
इसके साथ ही उसके 6 वर्ष तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा दिया जा सकता है। लेकिन सजा निचली अदालत से मिली है और ऊपरी अदालत से सजा पर रोक लगा दी जाती है तो सांसद या विधायक की सदस्यता वापस कर दी जाएगी।