नई दिल्ली, 3 अगस्त: ग्रीनपीस इंडिया, गुजरात एनर्जी रिसर्च मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (जर्मी) और आइडब्लूएमआइ-टाटा जल नीति कार्यक्रम के एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि देश में यदि परंपरागत नलकूपों के बजाय सौर नलकूप खेतों में लगाए जाएं तो भारत 2022 तक 100 गीगावॉट की सौर ऊर्जा उत्पादन कर सकता है।
रिसर्च में यह बात भी बताया गया है कि ये नलकूप ग्रिड से जुड़े नेट मीटर वाले होंगे जो किसानों की आय में वृद्धि करेंगे और दिन के वक्त सिंचाई के लिए अच्छी बिजली मुहैया कराएंगे।
फिलहाल देश में बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 60 गीगावॉट का लक्ष्य तय है। जबकि छतों पर उत्पादित की जाने वाली (रूफटॉप) सौर ऊर्जा के लिए तय 40 गीगावॉट के लक्ष्य में तेजी नहीं आई है। रिसर्च के मुताबिक मार्च 2018 तक केवल 2.4 गीगावॉट क्षमता वाली रूफटॉप सौर परियोजना लगाई जा सकती है।
पर्यावरण और ऊर्जा सक्षमता के परामर्श प्रमुख अखिलेश मागल ने बताया, ''नेट मीटर्ड सोलर फार्म टॉप इंस्टॉलेशन तकनीकी लिहाज से रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन के काफी समान हैं। रूफटॉप सोलर पीवी इंस्टॉलेशन जहां ज्यादा भुगतान करने वाले उपभौकताओं को ग्रिड से मुक्त करते हैं। वहीं, फार्मटॉप प्रणाली नकद संकट से ग्रस्त बिजली इकाइयों के ऊपर कृषि सब्सिडी का बोझ कम करती है। देश भर में सक्षमता बढ़ाने के लिहाज से फार्मटॉप सर्वश्रेष्ठ तरीका है।''
एक अनुमान के मुताबिक अगले पांच वर्ष में समूचे कृषि क्षेत्र के उपभोग के लिए सोलर पंप लगाने के लिए कुल 150 गीगावॉट के करीब सौर क्षमता इंस्टॉल करने की ज़रूरत होगी। यह 2022 तक भारत की कुल सौर क्षमता 100 गीगावॉट से कहीं ज्यादा है। इसीलिए आगमी पांच साल में इसका 10 फीसदी यानी 15 गीगावॉट भी हासिल कर पाना बड़ी उपलब्धि होगी।
मागल ने यह भी बताया कि फार्मटॉप देश में सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के तरीके का कायाकल्प कर देगा। बड़े सौर पार्कों के साथ भूमि अधिग्रहण, महंगी पारेषण अधिरचना, पारेषण में होने वाला रिसाव और ऐसी तमाम अन्य जटिलताएं जो जुड़ी हुई हैं, उनसे निजात पाया जा सकता है। कुसुम योजना समयबद्ध है और केंद्र को सभी राज्यों के साथ मिलकर इसके सहज क्रियान्वयन के लिए एक मानक क्रियान्वयन प्रणाली (एसओपी) बनानी होगी।''
रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 21.1 गीगावॉट की फार्मटॉप सौर क्षमता है, जिसके बाद कर्नाटक (18 गीगावॉट), राजस्थान (17.5 गीगावॉट), मध्यप्रदेश (14.9 गीगावॉट), गुजरात (12.5 गीगावॉट), उत्तर प्रदेश (10.8 गीगावॉट) और तेलंगाना (10.4 गीगावॉट) का नंबर आता है।
ग्रीनपीस इंडिया में अक्षय ऊर्जा प्रचारक पुजारिनी सेन ने बताया, ‘’2022 में अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सरकार विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा योजनाओं को लागू करने के रचनात्मक तरीके ढूंढ रही है। कुसुम एक नवाचारी योजना है जो इसके हिसाब से उपयुक्त है लेकिन इसे अब भी कैबिनेट की मंजूरी और वित्तीय आवंटन मिलना बाकी है1’’
वित्त मंत्री ने फरवरी 2018 में अपने बजट अभिभाषण के दौरान कुसुम योजना का जिक्र किया था। ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने वादा किया था कि यह योजना जुलाई में शुरू कर दी जाएगी हालांकि वित्त मंत्रालय से कुछ असहमतियों की बात सामने आई है।
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