"भगवान राम का दर्शन करने परिवार के साथ आऊंगा अयोध्या, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा के बाद", अखिलेश यादव ने 22 जनवरी का निमंत्रण मिलने के बाद कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: January 14, 2024 07:48 AM2024-01-14T07:48:51+5:302024-01-14T07:51:40+5:30
समाजवादी पार्टी ने भी विपक्षी दलों की तरह मंदिर उद्घाटन से फासला बनाए रखने का निर्णय किया है।
लखनऊ: अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, सियासत भी जमकर शुरू हो गई है। जी हां, कड़ाके की ठंड के बीच उत्तर प्रदेश का सियासी पारा सातवें आसमान पर है। सियासत की इसी क्रम में अब समाजवादी पार्टी ने भी विपक्षी दलों की तरह मंदिर उद्घाटन से फासला बनाए रखने का निर्णय किया है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से मिले मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकरा दिया है। हालांकि, अखिलेश यादव ने चंपत राय को निमंत्रण देने के लिए धन्यवाद देते हुए यह जरूर कहा कि वह मंदिर समारोह के बाद परिवार समेत भगवान राम का दर्शन करने के लिए अयोध्या आएंगे।
सपा से पहले सीपीएम और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने मंदिर समारोह को भाजपा और संघ का राजनीतिक कहते हुए निमंत्रण को ठुकरा दिया है। मंदिर ट्रस्ट ने सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी पहले ही मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा चुके हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राम मंदिर निर्माण का जिम्मा संभालने वाले ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को लिखे पत्र में समारोह कार्यक्रम में शामिल न होने के अपने फैसले की जानकारी दी।
सपा प्रमुख की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है, "राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण के लिए आपको धन्यवाद और इसके सफल समापन पर बधाई। मैं प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद अपने परिवार के साथ निश्चित रूप से अयोध्या आऊंगा।"
इससे पहले शुक्रवार को अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी देश और सनातन की परंपरा में सौ फीसदी विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा, "क्या कभी किसी को भगवान के निवास में आमंत्रित किया जा सकता है? हम समाजवादी अपनी परंपरा और सनातन पर शत प्रतिशत विश्वास करते हैं।"
इसके साथ उन्होंने यह भी कहा, "जब भी भगवान राम का बुलाएंगे, हम जरूर उनके यहां जाएंगे।"
इससे पहले शुक्रवार को कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सवाल किया था कि क्या राम मंदिर समारोह कार्यक्रम चार पीठों के शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, "प्राण प्रतिष्ठा' के अनुष्ठान की एक धार्मिक प्रणाली तय है। यदि यह आयोजन धार्मिक है, तो यह चार पीठों के शंकराचार्यों के मार्गदर्शन में क्यों नहीं हो रहा है? सभी चार शंकराचार्यों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 'प्राण प्रतिष्ठा' अधूरे मंदिर में ऐसा नहीं किया जा सकता। इसलिए, यदि यह आयोजन धार्मिक नहीं है, तो इसे राजनीतिक होना ही चाहिए।"
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, "मुझे यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है कि एक पार्टी विशेष के कुछ नेता मेरे और मेरे आराध्य देवता के बीच बिचौलिए के रूप में काम कर रहे हैं। हमारे कुछ राजनेता इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं। मंदिर के 'ठेकेदारों' ने प्राण प्रतिष्ठा की तारीख तय करने से पहले किस 'पंचांग' का हवाला दिया? क्या तारीख लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए चुनी गई है।''