मोदी सरकार के नए शिक्षा मंत्री की डिग्री पर उठा विवाद, मंत्री बोले- कुछ गलत नहीं किया
By विकास कुमार | Published: June 2, 2019 08:27 AM2019-06-02T08:27:51+5:302019-06-02T08:45:40+5:30
उन्हें डीलिट की यह मानद डिग्री श्रीलंका के ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने 1990 के दौर में साहित्य में योगदान के लिए मिली थी लेकिन असलियत में निशंक को जिस विश्वविद्यालय से यह डिग्री मिली है वो अस्तित्व में ही नहीं है.
मोदी सरकार के मत्रियों को शपथ लिए हुए अभी 72 घंटे भी नहीं हुए हैं लेकिन सरकार के नए शिक्षा मंत्री की डिग्री पर विवाद गहराने लगा है. रमेश पोखरियाल निशंक ने अपने चुनावी हलफनामे में अपनी शैक्षणिक योग्यता पीएचडी और डीलिट बताई थी.
उन्हें डीलिट की यह मानद डिग्री श्रीलंका के ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ने 1990 के दौर में साहित्य में योगदान के लिए मिली थी लेकिन असलियत में निशंक को जिस विश्वविद्यालय से यह डिग्री मिली है वो अस्तित्व में ही नहीं है.
इंडिया टुडे ने श्रीलंका के यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के हवाले से लिखा है कि इस तरह की कोई यूनिवर्सिटी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्टर्ड ही नहीं है.
बीते साल देहरादून में फाइल किए एक आरटीआई के जवाब में भी निशंक की शैक्षणिक योग्यता को लेकर आधा-अधूरा ही जानकारी सामने आई थी.
बायोडाटा में उनकी जन्म तिथि 15 अगस्त 1959 बताई गई है जबकि पासपोर्ट में 15 जुलाई 1959 में दर्ज है. दोनों में एक महीने का साफ अंतर देखा जा सकता है. उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट ने भी इस बात की पुष्टि की है.
केंद्रीय मंत्री के कार्यालय ने इस बात का खंडन किया है. इंडिया टुडे के साथ बातचीत में रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा है कि यह अंतर उनके जन्मपत्री और स्कूल सर्टिफिकेट में अलग-अलग तिथि के कारण है.
उनके मुताबिक, यह हरेक के साथ होता है क्योंकि हिन्दू जन्मपत्री में दर्ज डेट ऑफ़ बर्थ हिन्दू कैलेंडर के अनुसार होता है.
रमेश पोखरियाल निशंक के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते भी उनकी डिग्री पर विवाद हुआ था.
इसके पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्मृति ईरानी को भी शिक्षा मंत्री रहते डिग्री विवाद के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा था.