अटल बिहारी वाजपेयी के निधन का बीजेपी पर क्या होगा असर, बनाएगी चुनावी मुद्दा?
By जनार्दन पाण्डेय | Published: August 17, 2018 11:50 AM2018-08-17T11:50:13+5:302018-08-17T11:50:13+5:30
पहले भी बड़े नेताओं के निधन का चुनावी फायदा उठाया जाता रहा है।
नई दिल्ली, 17 अगस्तः यह महज संयोग है कि जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लोकसभा चुनाव के लिए पूरे दमखम से लोकसभा चुनावों की तैयारी कर रही है। 11 विधानसभा चुनावों को लोकसभा के साथ कराने की मांग कर रही है, उसी वक्त बीजेपी के शीर्षतम नेता का निधन हो गया है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय जनता बिना शर्त प्यार करती है। पक्ष से लेकर विपक्ष तक पहले ही उनके लिए अपनी संवेदना जाहिर कर चुके हैं। महज कुछ वामी नेताओं को छोड़ दें, जो लगातार अटल बिहारी के लिए जहर उगल रहे हैं, तो बाकी भारत के सभी वर्ग में बच्चे-बड़े-बूढ़े-जवान सबकी आंखें नम हैं।
लेकिन इसी बीच दिल्ली में बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं ने आईटीओ, दिल्ली गेट समेत कई जगहों पर अटल बिहारी बाजपेयी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए और श्रद्धांजलि देते हुए बड़े-बड़े पोस्टर लगा दिए हैं। वे चाहते हैं कि अटल बिहारी के बहाने लोग उन्हें जानें। इतिहास गवाह है, जब-जब पार्टी के बड़े नेताओं का निधन चुनाव के आसपास हुआ है, एक अनकहा जनसमर्थन उस पार्टी के ओर आता है। सोनिया गांधी ने अपने पति राजीव गांधी की मौत को चुनावी मुद्दा बनाया था। राजीव की हत्या के बाद उन्होंने कई चुनावी रैलियों में उनके नाम का उल्लेख किया था।
ऐसे में अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो जाएंगे। क्योंकि बीजेपी नेताओं ने अभी इसकी कोशिश शुरू कर दी है। ऐसे में बीजेपी यह प्रयास भी एकदम कारगर साबित होगा जिसके तहत वह लोकसभा चुनावों के साथ 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी कराना चाहती है। दरअसल, लोकसभा चुनावों का मिजाज दूसरा होता है। जनता उस पार्टी को वोट करना चाहती है, जो वैश्विक स्तर पर देश को आगे बढ़ाए। लेकिन विधानसभा चुनावों में जनता का झुकाव क्षेत्र में अच्छा काम करने वाली पार्टियों पर होता है।
ऐसा कई बार देखने को मिलता है जब केंद्र में वही पार्टी प्रचंड जीत दर्ज करती है। लेकिन विधानसभा चुनाव में किसी क्षेत्रीय दल से पराजित हो जाती ह। फिलहाल लोकसभा चुनावों में बीजेपी के लिए अवसर ज्यादा है। वह एक मजबूत पार्टी के तौर स्थापित है। ऐसे में अगर विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ करा लिया जाएगा तो बीजेपी बड़ी जीत की ओर अग्रसर हो सकती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि इसमें अटल विहारी की छवि का बीजेपी को फायदा मिलेगा। ऐसे वक्त में जब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से उत्तर प्रदेश में बीजेपी को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अटल बिहारी का यूपी की पृष्ठभूमि से होना भी फायदेमंद साबित हो सकता है।