ओडिशा के बालासोर में कैसे हुआ बड़ा रेल हादसा, तीन ट्रेनों की 'टक्कर'...जांच में अब तक क्या आया सामने, रेलवे बोर्ड ने बताया
By विनीत कुमार | Published: June 4, 2023 02:47 PM2023-06-04T14:47:28+5:302023-06-04T15:28:58+5:30
ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि हादसे की संभावित वजह का पता चल गया है लेकिन विस्तृत बात रिपोर्ट में सामने आ सकेगी।
नई दिल्ली: रेलवे बोर्ड ने ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार की रात हुए भीषण रेल हादसे की घटनाओं का विवरण दिया है। इस घटना में कम से कम 288 लोग मारे गए हैं और 1,000 से अधिक घायल हुए हैं। हालांकि ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने 275 लोगों के मौत की पुष्टि की है। बहरहाल, यह अब भी पहेली बना हुआ है कि आखिर तीन ट्रेनें कैसे टकराई, ये पूरा हादसा हुआ कैसे और गलती कहां और किससे हुई।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार सुबह बालासोर में घटनास्थल में पत्रकारों से कहा कि दुर्घटना के असल वजह के बारे में पता चल गया है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रोनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव की वजह से ऐसा होना कहा।
इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम, ट्रेनों के बीच एक तरह का सुरक्षा तंत्र है। यह रेलवे जंक्शनों, स्टेशनों और सिग्नलिंग बिंदुओं पर ट्रेनों की आवाजाही के सुरक्षित और कुशल संचालन को सुनिश्चित करता है। रेल मंत्री ने साथ ही कहा कि विस्तृत बात रिपोर्ट में बताई जाएगी। इस बीच रेलवे बोर्ड़ ने क्या कहा है, आईए जानते हैं।
रेलवे ने बताया कि बालासोर का बहनगा बाजार स्टेशन, जहां भीषण दुर्घटना हुई, वह चार-लाइन वाला एक स्टेशन है। इसमें बीच में दो मुख्य लाइनें और दोनों तरफ दो लूप लाइनें हैं। दोनों लूप लाइनों पर लौह अयस्क (Iron ore) से लदी मालगाड़ियां थीं।
कैसे हुआ बालासोर रेल हादसा?
रेलवे बोर्ड के संचालन और बीडी विभाग की सदस्य जया वर्मा सिन्हा ने पत्रकारों को बताया, 'शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई से हावड़ा जा रही थी और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस हावड़ा से आ रही थी। दोनों मुख्य लाइनों पर सिग्नल ग्रीन था। कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थी और दूसरी पैसेंजर ट्रेन 126 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। यहां गति सीमा 130 किलोमीटर प्रतिघंट है। इसलिए कह सकते हैं उनमें से कोई भी ओवरस्पीडिंग या तय मानक से ज्यादा तेज गति से नहीं था।'
उन्होंने कहा कि एक सिग्नलिंग समस्या का पता चला है लेकिन इसके बारे में पूरा विवरण आगे की जांच के बाद ही सामने आएगा। सिन्हा ने आगे कहा कि इतनी तेज गति पर प्रतिक्रिया का समय (रिएक्शन टाइम) बहुत कम होता है। उन्होंने कहा, 'कुछ सिग्नल में हस्तक्षेप आया था।' उन्होंने आगे कहा कि इसे सिग्नल की विफलता कहना सही नहीं होगा। रेलवे बोर्ड ने बार-बार रेल मंत्री के इस दावे को दोहराया कि ये केवल प्रारंभिक निष्कर्ष हैं और औपचारिक जांच पूरी होने तक कुछ भी ठोस तरह से नहीं कहा जा सकता है।
'तीन नहीं, बस एक ट्रेन के पटरी से उतरने से हुआ हादसा'
जया वर्मा सिन्हा ने पत्रकारों से बातचीत में बार-बार जोर देकर यही कहा कि केवल एक ट्रेन कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना का शिकार हुई जिससे इतना बड़ा हादसा हुआ। उन्होंने कहा, 'किसी कारण से वह ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई, और इंजन और कोच उस पर चढ़ गए।'
उन्होंने आगे कहा कि यह लूप लाइन में से एक पर तैनात लौह अयस्क से भरी एक मालगाड़ी से जाकर टकरा गया। उन्होंने दावा किया कि मालगाड़ी ने दुर्घटना का यह बड़ा झटका झेल लिया था क्योंकि यह बहुत भारी था। उन्होंने आगे कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे तीसरे ट्रैक पर गए और ऐसे में वह हावड़ा से तेज गति से आ रही ट्रेन के कुछ डिब्बों से जा टकराए।
उन्होंने कहा, 'लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच दुर्घटनाग्रस्त ट्रेनों में लगे हुए थे, वे बहुत सुरक्षित हैं।' उन्होंने कहा कि लौह अयस्क के कारण नुकसान और भी बुरा हुआ।