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कीड़ों ने चूस लिया 14 साल के किशोर का 22 लीटर खून, वायरलैस कैमरा कैप्सूल से खुला राज

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: January 9, 2018 11:19 IST

किशोर दो साल से खून की कमी से परेशान था। वो कई बार एनीमिया का शिकार हो चुका था।

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हुकवर्म ने एक 14 साल के किशोर के शरीर के अंदर से 22 लीटर खून चूस लिया। हुकवर्म किशोर के शरीर से यह खून पिछले दो साल पी रहा था। जिस कारण से किशोर बार-बार खून की कमी होने से एनीमिया का भी शिकार हो रहा था। इसके बाद कैप्सूल एंडियोस्कोपी से वह ठीक हुआ, वह भी बिना किसी सर्जरी के ये हो पाया है।

गंगाराम अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर अनिल अरोरा ने मीडिया को बताया है, इस किशोर के शरीर में पिछले कई दिनों से खून की कमी थी, लेकिन इस बारे में उसे कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। 14 साल का किशोर 6 महीने पहले भी अस्पताल आया था। उसे दो साल में खून की कमी के कारण 50 यूनिट (22 लीटर) खून चढ़ाया गया था। हुकवर्म (अंकुशकृमि/ खून चूसने वाला) एक वायरस है जो धीरे-धीरे शरीर का खून पीता है।

मरीज के हुए कई टेस्ट

मरीज की परेशानी को समझने के लिए उसका ईजीडी टेस्ट (गले और पेट को जोड़ने वाली नली, पेट और छोटी आंत के हिस्से की जांच करने वाला टेस्ट), कोलोनस्कोपी (बड़ी आंत में एक एक चार फुट की पतली ट्यूब से देखने का तरीका) किया गया। इसके अलावा उसकी आंत को देखने के लिए कई रेडियोग्राफी टेस्ट भी किए गए। लेकिन यह सभी टेस्ट सामान्य रहे। इसके बाद उसके हीमोग्लोबिन की जांच की गई, जो 5.86 था। वहीं यह पुरुषों में 13.5 से 17.5 ग्राम/डे होना चाहिए। जिसके बाद डॉक्टर ने हुकवर्म होने की आशंका जताई थी।

कैप्सूल एंडोस्कोपी का लिया गया  सहारा

डॉ. अरोड़ा का कहना है कि किशोर को क्या दिक्कत थी, बिमारी का पता ना चल पाने के कारण उसकी कैप्सूल एंडोस्कोपी करने की योजना बनाई। इसमें एक वायरलैस कैमरा कैप्सूल में लगा होता है। जो तस्वीरें कैद करता है। इसकी बैट्री 12 घंटे तक चलती है। यह एक सेकेंड में दो फोटो लेता है, कुल 70 हजार फोटो यह इस पूरे समय मे लेता है। इसकी रील बनती है, उसे कंप्यूटर पर देखा जाता है। जिसमें 1 मिमी आकार के कीड़े मरीज के खून को चूसते हुए दिखाई दिए। यह कैप्सूल मल त्याग करते समय निकल जाता है। बाद में इस मरीज को पेट साफ करने वाली दवाई दी गई और वह ठीक हो गया। जिसमें मरीज की कोई भी सर्जरी नहीं की गई है।

यहां जानें क्या होते हैं हूकवर्म, कैसे पनपती है बीमारी

हूकवर्म भूरे रंग के पैरासाइट्स होते हैं, जो गंदे खाने, पीने के पानी या पैरों में मौजूद सूक्ष्म छिद्रों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह मनुष्य का खून पीकर जिंदा रहते हैं। यह ज्यादातर स्मॉल इंटेस्टाइन में ही मौजूद रहते हैं। इनका मुंह छोटे से कटिया के रूप में होता है, जिसकी मदद से यह लीवर के अंदर चिपके रहते हैं। शरीर के अंदर प्रवेश कर के मादा हूकवर्म कई अंडे देता है, जो शरीर का खून चूसते रहते हैं। यह बहुत ही कॉमन बीमारी है, लेकिन इसे नजर अंदाज करने से शरीर के अंदर खून नष्ट होता है जो मरीज के लिए आगे चलकर घातक सिद्ध होता है।

12 घंटे में 70 हजार पिक्चर लेता है कैप्सूल कैमरा

हुकवर्म को खत्म करने वाला एक कैप्सूल कैमरा 12 घंटे में 70 हजार पिक्चर लेता है जबकि हर दो सेकेंड में दो पिक्चर खींचता है। तीस साल में उनके डिपार्टमेंट में इस तरह का दूसरा केस आया है जिसकी जांच हो पाई है। कैप्सूल से उनके डिपार्टमेंट में एंडोस्कोपी पांच साल पहले शुरू हुई थी।

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