ऊंचे अपार्टमेट गिराने के शीर्ष अदालत के आदेश के बाद घर खरीददार हैं और परेशान

By भाषा | Published: September 12, 2021 09:32 PM2021-09-12T21:32:51+5:302021-09-12T21:32:51+5:30

Home buyers are upset after the order of the top court to demolish the elevated apartment | ऊंचे अपार्टमेट गिराने के शीर्ष अदालत के आदेश के बाद घर खरीददार हैं और परेशान

ऊंचे अपार्टमेट गिराने के शीर्ष अदालत के आदेश के बाद घर खरीददार हैं और परेशान

(किशोर द्विवेदी)

नोएडा, 12 सितंबर रश्मि बोंद्रे और उसके पति मनीष कुमार ने अप्रैल, 2010 में ग्रेटर नोएडा में सुपरटेक के इको विलेज-1 आवासीय परियोजना में एक फ्लैट बुक कराया था और उन्हें 2012 तक कब्जा मिल जाने का आश्वासन दिया गया था।

रश्मि और मनीष ने उम्मीद की थी कि यदि निर्माण में देरी हुई तब भी वह 2013 तक अपने घर में चले ही जायेंगे और उन्हें किराये के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी।

इस नव दंपति के लिए जिंदगी अच्छी जान पड़ी थी लेकिन उन्हें वह नहीं मिला जिनकी उन्हें इच्छा थी। अब 2021 में उनके दो बच्चे हैं लेकिन सुपरटेक में बुक करने के बाद उनका जो घर का सपना था, वह आज भी सपना ही है।

इसी दंपति की तरह कई अन्य लोग हैं जो अपने सपने के घर का अब भी बाट जोह रहे हैं और कई समय सीमाएं गुजरने के बाद भी आज तक उन्हें फ्लैट नहीं मिल पाया है ।

उच्चतम न्यायालय ने 13 अगस्त को यहां नोएडा में सुपरटेक के इमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट में दो 40 मंजिली टावरों को भवन उपनियमों का उल्लंघन करने के मामले में गिराने का आदेश दिया है ।

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि घर खरीददारों की पूरी राशि बुकिंग के समय से 12 फीसद की ब्याज दर के साथ लौटाया जाए और रेसीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को दो टावरों के निर्माण से हुई परेशानियों को लेकर दो करोड़ रूपये का भुगतान किया जाए।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि 2014 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोनों टावरों को गिराने का जो आदेश दिय था, उसमें हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है।

ग्रेटर नोएडा से लेकर गुड़गांव तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपने मकान के लिए अपनी मेहनत की कमाई लगाने वाले खरीददार अब परेशान एवं निराश हैं।

वैसे उच्चतम न्यायालय के फैसले के एक दिन बाद सुपरटेक ने कहा कि इस आदेश का उसपर या उसके ग्रुप ऑफ कंपनी पर ‘‘ कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि हर परियोजना का अपना स्वतंत्र’’ रेरा खाता और लागत केंद्र है।

उसने एक बयान में कहा, ‘‘ सुपरटेक आर्थिक रूप से स्थिर एवं मजबूत समूह है। हम अपने सभी परियोजना स्थलों पर कार्यक्रम के हिसाब से बढ़ रहे हैं। हम सभी ग्राहकों, बैंकरों , वेंडरों एवं अन्य पक्षकारों को फिर आश्वस्त करना चाहेंगे कि हम निर्धारित समय सीमा में अपनी परियोजना को पूरा करेंगे।’’

लेकिन खरीददार उसके आश्वासन से कम ही उत्साहित हैं। बोंद्रे ने कहा कि उसका टावर ‘करीब पूरा हो गया और कुछ ही काम रह रहे गये हैं’’ लेकिन अनापत्ति प्रमाणपत्र एवं पूर्णता एवं कब्जा संबंधी प्रमाणपत्र अभी स्थानीय प्राधिकार से मिलना बाकी है।

उन्होंने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘ लेकिन कुछ परिवार तो 10-11 साल के इंतजार क बाद अधूरे टावर में चले भी गये हैं। जहां तक दोनों टावरों को गिराने के संबंध में उच्चतम न्यायालय का सवाल है तो ऐसी संभावना है कि बिल्डर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण में दिवालिया मामला दायर कर दे या जानबूझकर वर्तमान मामलों में हार जाए। ऐसे में वर्तमान परियोजनाओं के पूरा होने की संभावना बहुत कम जान पड़ती है। ’’

बोंद्र ने कहा, ‘‘ बिल्डर पहले से नकदी के अभाव से जूझ रहा है। लेकिन कंपनी दोनों टावरों को गिराने एवं रिफंड देने के लिए कहां से पैसे लाएगी? स्पष्ट है कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करने के लिए वर्तमान परियोजनाओं का फैसला फिर कहीं और लगा दिया जाएगा। सुपरटेक में फ्लैट बुक कराना हमारी जिंदगी भर की भूल थी।

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Web Title: Home buyers are upset after the order of the top court to demolish the elevated apartment

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