कश्मीर: सेना ने हिज्बुल मुजाहिदीन के डिस्ट्रिक्ट कमांडर को मुठभेड़ में मार गिराया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 15, 2020 01:06 PM2020-01-15T13:06:56+5:302020-01-15T13:06:56+5:30
13 जनवरी को भी जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ हुई एक मुठभेड़ में एक स्थानीय आतंकवादी मारा गया था। मारे गए आतंकवादी की पहचान बडगाम के रहने वाले आदिल अहमद के रूप में हुई है।
जम्मू कश्मरी में भारतीय सेना के सुरक्षा बलों ने हिज्बुल मुजाहिदीन के डिस्ट्रिक्ट कमांडर हारुन हाफज मुठभेड़ में मार गिराया है। मुठभेड़ सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच डोडा में हो रही थी। डोडा जिले में सेना के साथ मुठभेड़ आज (15 जनवरी) को सुबह से जारी थी। 12 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के तीन “सर्वाधिक वांछित” आतंकवादी मारे गए थे।
Indian Army: District Commander of Hizbul Mujahideen, Harun Hafaz has been gunned down by security forces in an encounter in Doda. #JammuAndKashmirpic.twitter.com/qebm1CEL6Y
— ANI (@ANI) January 15, 2020
13 जनवरी को भी जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ हुई एक मुठभेड़ में एक स्थानीय आतंकवादी मारा गया था। सुरक्षा बलों ने चादूरा क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की जानकारी मिलने के बाद वहां घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया था। मुठभेड़ तब शुरू हुई थी, जब उस आतंकवादी ने सुरक्षाबलों पर गोलियां चलानी शुरू कर दी, जिसके बाद सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में वह आतंकवादी मारा गया। मारे गए आतंकवादी की पहचान बडगाम के रहने वाले आदिल अहमद के रूप में हुई है। उसके समूह का तत्काल पता नहीं चल सका है।
वहीं 12 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के तीन “सर्वाधिक वांछित” आतंकवादी मारे गए थे। पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि आतंकवादी - सीर गांव के उमर फयाज लोन उर्फ “हमद खान”, मंदूरा के फैजान हामिद और मोनघामा के आदिल बशीर मीर उर्फ “अबु दुजाना”- आतंक अपराधों में उनकी मिलीभगत के लिए वांछित थे।
इन अपराधों में सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हमले और आम नागरिकों पर अत्याचार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि तीनों प्रतिबंधित हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकवादी संगठन के साथ संबद्ध थे और पुलिस एवं सुरक्षा बलों के संयुक्त घेराव एवं तलाश अभियान के दौरान उन्हें पकड़ा गया था। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक मारे गए आतंकवादियों का 2016 के बाद से आतंक अपराधों को अंजाम देने का लंबा इतिहास रहा है।