'ऐ लड़की' और 'मित्रो मरजानी' की रचनाकार कृष्णा सोबती का 93 साल की उम्र में निधन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 25, 2019 11:39 AM2019-01-25T11:39:01+5:302019-01-25T12:06:02+5:30

कृष्णा सोबती के उपन्यास ऐ लड़की और मित्रो मरजानी को हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में शुमार किया जाता है।

Hindi writer Krishna Sobti dies at 93 years of age aai ladki and mitro marjani her famous work | 'ऐ लड़की' और 'मित्रो मरजानी' की रचनाकार कृष्णा सोबती का 93 साल की उम्र में निधन

कृष्णा सोबती को ज्ञानपीठ सम्मान और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका कृष्णा सोबती का निधन हो गया। कृष्णा सोबती 93 साल की थी। लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार की सुबह एक निजी अस्पताल में निधन हो गया है। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखिका कृष्मा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को वर्तमान पाकिस्तान के एक कस्बे में हुआ था।

कृष्णा सोबती के उपन्यास ऐ लड़की और मित्रो मरजानी को हिन्दी साहित्य की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में शुमार किया जाता है। 

कृष्णा सोबती हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिकाओं में से एक हैं। उन्हें 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1996 में साहित्य अकादमी अध्येतावृत्ति से सम्मानित किया गया है। 

साल 2017 में  कृष्णा सोबती को साहित्य के क्षेत्र में दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अलावा, कृष्णा सोबती को उनके उपन्यास ‘जिंदगीनामा’ के लिए साल 1980 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। उन्हें 1996 में अकादमी के उच्चतम सम्मान ‘साहित्य अकादमी फैलोशिप’ से नवाजा गया था। इसके अलावा कृष्णा सोबती को पद्मभूषण, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

सोबती के निधन पर युवा इतिहासकार शुभनीत कौशिक ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपने फेसबुक पर लिखा है-

"अपनी विशिष्ट रचना-शैली, शब्द-शिल्प और बेबाक लेखन के लिए विख्यात कृष्णा सोबती स्वातंत्र्योत्तर भारतीय साहित्य में अपना ख़ास स्थान रखती हैं। फरवरी 1925 में पंजाब के गुजरात शहर (अब पाकिस्तान) में पैदा हुई कृष्णा सोबती बँटवारे के बाद भारत आईं। दिल्ली आए हुए शरणार्थियों की पीड़ा और ख़ुद को इस अनजान, अपरिचित शहर में बसाने के शरणार्थियों की कोशिशों, उनके अदम्य जीवट का आँखों-देखा हाल उन्होंने ‘मार्फ़त दिल्ली’ में बयान किया है। विभाजन की त्रासदी को ‘गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान’ सरीखी अपनी किताबों में उन्होंने मार्मिकता के साथ दर्ज किया है।

नब्बे की वय में भी वे राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों पर अपनी मुखर अभिव्यक्ति अपने लेखन और सार्वजनिक मंचों से दर्ज करती रहीं। कृष्णा सोबती ने ‘मित्रो मरजानी’ जैसी अपनी रचनाओं में मित्रो जैसी सशक्त नारी किरदार भारतीय साहित्य को दिया।"

English summary :
Krishna Sobti, the famous Hindi writer and essayist, who won the Sahitya Akademi Award in 1980 for her novel Zindaginama, and in 1996, was awarded the Sahitya Akademi Fellowship, the highest award of the Akademi, died at the age of 93 after a long illness, on 25th January Friday morning.


Web Title: Hindi writer Krishna Sobti dies at 93 years of age aai ladki and mitro marjani her famous work

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