विडंबना! हिंदी में बोलने और काम के लिए देना पड़ता है पैसों का लालच, भाषा को लेकर सरकार खुद संशय में

By शाहनवाज आलम | Published: September 13, 2022 08:48 PM2022-09-13T20:48:11+5:302022-09-13T20:49:33+5:30

हर साल में देश में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इसका मकसद देश में हिंदी को बढ़ावा देना है. हालांकि सच कुछ और है. राज्य की सरकारें क्षेत्रीय भाषा तो केंद्र हिंदी भाषा पर जोर दे रही है.

Hindi Diwas government itself in doubt over language as most works still happens in english | विडंबना! हिंदी में बोलने और काम के लिए देना पड़ता है पैसों का लालच, भाषा को लेकर सरकार खुद संशय में

जब हिंदी में बोलने और काम निपटाने के लिए देना पड़े पैसों का लालच (फोटो- केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान)

नागपुर: पूरा देश गर्व से हिंदी दिवस मना रहा है. हालांकि जब हिंदुस्तान में रह कर ही देश के लोगों को हिंदी बोलने और हिंदी में कामकाज निपटाने के लिए पैसों का लालच और इनाम देने की घोषणा की जाए तो यह अपने आप में चिंता का विषय है. जी हां ये सच है कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर हिंदी भाषा में काम करने और कार्यालय में हिंदी बोलने के लिए कर्मचारियों को इनाम का लालच दिया जाता है. 
 
इसमें भी सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि जिस आदेश में लोगों से हिंदी में काम करने और हिंदी भाषा बोलने की अपील की जाती है वो आदेश ही अंग्रेजी भाषा में जारी किया जाता है. देश आज आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है लेकिन हम आज भी अंग्रेजों की अंग्रेजी से आजाद नहीं हुए हैं.

बड़ा सवाल? महाराष्ट्र में कौन सी भाषा

केंद्र सरकार राजभाषा विभाग लगातार केंद्रीय कर्मचारियों को हिंदी भाषा में काम करने के लिए और कार्यालय में हिंदी भाषा का उपयोग करने के लिए नगद पुरस्कार देने की योजना चला कर हिंदी के लिए प्रेरित कर रही है. महाराष्ट्र के सरकारी दफ्तरों में लेकिन मराठी भाषा में ही पूरे काम-काज होते हैं. 

सभी कर्मचारी किसी भी तरह के कागजी कार्रवाई के लिए मराठी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा नहीं करने वाले अधिकारी और कर्मचारी का इन्क्रीमेंट (वेतन वृद्धि) भी रोक दिया जाता है. अब ऐसे में कर्मचारी असमंजस की स्थिति में हैं कि महाराष्ट्र में हिंदी में काम करें या मराठी भाषा में?

आदेशों में खुद थोप रहे अंग्रेजी

बात करें कर्मचारी राज्य बीमा निगम की तो, सब रीजनल ऑफिस नागपुर में हिंदी भाषा को प्रोत्साहित करने की योजना और अपील की गई है, केवल उसी आदेश में हिंदी भाषा का उपयोग किया गया है. इसके अलावा जितने भी आदेश निकलते हैं सब के सब अंग्रेजी भाषा में निकाले जाते हैं. 

अब कर्मचारियों का कहना है कि जब सरकार खुद ही अंग्रेजी को बढ़ावा देकर अंग्रेजी में आदेश दे रही है, तो ऐसे में हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार देने का ढोंग क्यों? श्रम रोजगार कार्यालय भारत सरकार से संबद्ध कर्मचारी राज्य बीमा निगम कार्यालय के लेटर हेड के ऊपर ही केवल हिंदी का प्रयोग किया जाता है. लेकिन आदेश सारा अंग्रेजी भाषा में ही जारी किया जाता है.

बांटे जा चुके हैं नगद पुरस्कार

केंद्रीय कार्यालय बीमा निगम द्वारा कार्यालयों में हिंदी में काम निपटाने वाले कर्मचारियों की सूची मांगी गई थी, जिसमें हिंदी प्रयोग प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत कार्यालय के अधीनस्थ कार्मिकों के 1 जनवरी 2020 से 31 दिसंबर 2020 तक 75% या इससे अधिक कार्य हिंदी में निपटाने वाले कर्मचारी शामिल थे. 

28 फरवरी 2022 तक कार्यालय की राजभाषा शाखा में सभी कर्मचारियों की सूची भेजी गई थी. केंद्रीय मुख्यालय द्वारा चयनित सभी कर्मचारियों को नगद पुरस्कार बांटे गए. अब सवाल ये उठता है कि भारत में रहकर ही लोगों को हिंदी बोलने के लिए इनाम का लालच दिया जाए तो इससे बड़ी चिंता की बात क्या हो सकती है.

Web Title: Hindi Diwas government itself in doubt over language as most works still happens in english

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