वकीलों के मौजूदा ड्रेस कोड को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्‍च न्‍यायालय ने जवाब मांगा

By भाषा | Updated: July 16, 2021 23:16 IST2021-07-16T23:16:51+5:302021-07-16T23:16:51+5:30

High Court seeks response on plea challenging the existing dress code of lawyers | वकीलों के मौजूदा ड्रेस कोड को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्‍च न्‍यायालय ने जवाब मांगा

वकीलों के मौजूदा ड्रेस कोड को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्‍च न्‍यायालय ने जवाब मांगा

लखनऊ, 16 जुलाई इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ में अधिवक्ताओं के वर्तमान ड्रेस को जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है। उक्त याचिका पर अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी करते हुए, केंद्र सरकार व इलाहाबाद उच्च न्यायालय प्रशासन समेत सभी प्रतिवादियों से जवाब तलब किया है।

मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होनी है।

न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता अशोक पांडेय की याचिका पर उक्त आदेश पारित किया।

याची के अनुसार उन्होंने अपनी याचिका में बार काउंसिल के उस नियम को चुनौती दी है जिसमें अधिवक्ताओं के लिए अदालत कक्ष में काला कोट, गाउन और बैंड धारण करने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि वकीलों के लिए वर्दी/ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया को देते हुए यह प्रावधान किया गया था कि ऐसा करते हुए स्थानीय जलवायु को ध्यान में रखा जाएगा लेकिन लेकिन बार काउंसिल ने पूरे देश और पूरे साल के लिए एक ही ड्रेस कोड निर्धारित कर दिया।

याची का कहना है कि भारत में जहां तमाम क्षेत्रों में 9 महीने और कुछ क्षेत्रों में 12 महीने गर्मी पड़ती है, वहां काला कोट और गाउन पूरे साल भर के लिए निर्धारित करना ‘एडवोकेट्स एक्ट’ के संबंधित प्रावधान और संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है।

याचिका में वकीलों के बैंड के बाबत कहा गया है कि ऐसे बैंड को ईसाई देशों में प्रीचिंग बैंड कहा गया है जिसे बड़े ईसाई धर्मगुरु तब धारण करते हैं जब वे धार्मिक प्रवचन देते हैं। ऐसे में यह बैंड ईसाई धर्म का आवश्यक प्रतीक चिन्ह है।

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Web Title: High Court seeks response on plea challenging the existing dress code of lawyers

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