कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आयकर मामला स्थानांतरित करने पर रोक लगाने से हाई कोर्ट का इंकार
By भाषा | Published: August 21, 2019 11:24 PM2019-08-21T23:24:52+5:302019-08-21T23:24:52+5:30
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उन पर आयकर कानून की धारा 276 सी के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है और इस अपराध के लिए सजा (साबित होने पर) सात साल की कैद है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और उनकी पत्नी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ एक आयकर मामले को आर्थिक अपराध अदालत से विशेष अदालत में स्थानांतरित किए जाने पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया था। विशेष अदालत विधायकों और सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई करती है।
जब यह मामला न्यायमूर्ति पी डी आदिकेशवलु के समक्ष सुनवाई के लिए मामला आया तो पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति के वकील ने मामले के स्थानांतरण पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया। कार्ति ने अपनी याचिका में कहा कि इस मामले को सांसदों और विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत में स्थानांतरित करना गलत था क्योंकि वह 2015 में कथित अपराध के समय सांसद नहीं थे।
लेकिन, अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए मामले को 30 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया। अदालत ने 19 अगस्त को सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी थी ताकि मामलों को स्थानांतरित करने के संबंध में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से स्पष्टीकरण मांगा जा सके।
जानिए क्या है पूरा मामला
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उन पर आयकर कानून की धारा 276 सी के तहत अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है और इस अपराध के लिए सजा (साबित होने पर) सात साल की कैद है। उन्होंने दलील दी कि इसकी सुनवाई किसी सहायक सत्र न्यायाधीश (वरिष्ठ सिविल जज कैडर) द्वारा की जानी चाहिए, ‘‘जो मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा... मामले का स्थानांतरण सत्र न्यायाधीश के कैडर में विशेष अदालत के न्यायाधीश को किया जाना कानून में गलत है।’’ यह मामला याचिकाकर्ताओं द्वारा भूमि की बिक्री से मिले 1.35 करोड़ रूपए का खुलासा नहीं किए जाने से संबंधित है।