उच्च न्यायालय ने 2008 के बम विस्फोट मामले में आरोपी को जमानत दी

By भाषा | Published: October 6, 2021 05:13 PM2021-10-06T17:13:17+5:302021-10-06T17:13:17+5:30

High Court grants bail to accused in 2008 bomb blast case | उच्च न्यायालय ने 2008 के बम विस्फोट मामले में आरोपी को जमानत दी

उच्च न्यायालय ने 2008 के बम विस्फोट मामले में आरोपी को जमानत दी

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2008 के बम विस्फोट मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक आरोपी को बुधवार को जमानत दे दी। आरोपी 12 साल से जेल में बंद है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी की पीठ ने कहा कि आरोपी मोहम्मद हाकिम यह मामला बनाने में सफल रहा है कि अगर उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जाता है तो इससे उसके मुकदमे की तेजी से सुनवाई के अधिकार का हनन हो रहा है। मोहम्मद हाकिम पर आरोप है कि वह दिल्ली में 2008 में बम विस्फोटों के लिए इस्तेमाल किये जाने के वास्ते ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ (आईईडी) कथित तौर पर बनाने के लिए लखनऊ से साइकिल बॉल बेयरिंग दिल्ली लाया था।

फरवरी 2009 से हिरासत में रहे आरोपी ने भारतीय दंड संहिता, 1860, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के कई प्रावधानों के तहत आपराधिक मामले में निचली अदालत में जमानत याचिका खारिज होने के बाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।

पीठ ने कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि आरोपी को मुकदमा पूरा होने के बाद उम्रकैद की सजा दी जाएगी, वह पहले ही आधी से ज्यादा सजा काट चुका है, जिसका उसे अंतत: सामना करना पड़ सकता है।

अदालत ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता ने एक विचाराधीन कैदी के रूप में 12 साल से अधिक समय हिरासत में बिताया है; पिछले लगभग 12 वर्षों में 256 गवाहों से जिरह की गई है, लेकिन अभियोजन पक्ष के 60 गवाहों से अभी भी पूछताछ की जानी बाकी है। इसके बाद मुकदमे में कितना भी समय लगे, अपीलकर्ता को एक विचाराधीन कैदी के रूप में 12 साल से अधिक की कैद का सामना करना पड़ा।’’

पीठ ने कहा कि अदालतों को सतर्क रहना चाहिए, और जब संवैधानिक और कानूनी अधिकारों की रक्षा करने की बात आती है तो वे प्रहरी के रूप में कार्य करते हैं।

अदालत ने यह मानने से भी इनकार कर दिया कि अपीलकर्ता को मौत की सजा दी जा सकती है। अदालत ने कहा कि मौत की सजा ‘‘दुर्लभ से दुर्लभतम’’ मामलों में दी जाती है।

अदालत ने कहा कि जमानत 25,000 रुपये की राशि के व्यक्तिगत मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतों पर दी गई है।

अदालत ने कहा कि आरोपी को अपना पासपोर्ट सौंपना होगा और बिना पूर्व अनुमति के देश से बाहर यात्रा नहीं कर सकता है। अदालत ने कहा कि आरोपी को अपने सेल नंबर को हर समय चालू रखना होगा और वह गवाहों से संपर्क नहीं करेगा या सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा।

आरोपी ने इस आधार पर जमानत मांगी थी कि त्वरित सुनवाई के उसके अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है और वह मुकदमे के लंबित रहने के दौरान नियमित जमानत पर रिहा होने का हकदार है।

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Web Title: High Court grants bail to accused in 2008 bomb blast case

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