उच्च न्यायालय ने सोमनाथ भारती की दो साल कारावास की सजा पर लगाई रोक

By भाषा | Updated: March 24, 2021 20:17 IST2021-03-24T20:17:02+5:302021-03-24T20:17:02+5:30

High court bans Somnath Bharti's two-year imprisonment | उच्च न्यायालय ने सोमनाथ भारती की दो साल कारावास की सजा पर लगाई रोक

उच्च न्यायालय ने सोमनाथ भारती की दो साल कारावास की सजा पर लगाई रोक

नयी दिल्ली, 24 मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक सोमनाथ भारती को राहत देते हुए एम्स के सुरक्षा कर्मियों पर हमले के मामले में उनकी दोषसिद्धि पर बुधवार को रोक लगा दी और उन्हें सुनाई गई दो साल कारावास की सजा निलंबित कर दी।

न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने भारती की याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। भारती ने खुद को दोषी ठहराए जाने और दो साल कैद की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

उच्च न्यायालय ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 20 मई की ताारीख तय की।

भारती को यहां निचली अदालत द्वारा मंगलवार को फैसला सुनाए जाने के बाद हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया था।

उन्होंने उच्च न्यायालय में दायर अपनी अपील में निचली अदालत के फैसले को दरकिनार किए जाने और याचिका लंबित रहने के दौरान सजा को निलंबित किए जाने का आग्रह किया है। उन्होंने मामले में अपनी दोषिसिद्धि के स्थगन का भी अनुरोध किया है।

अभियोजन के अनुसार, नौ सितंबर 2016 को भारती और लगभग 300 अन्य लोगों ने यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक दीवार की बाड़ को एक जेसीबी ऑपरेटर की मदद से गिरा दिया था और सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया था।

मामले में गत जनवरी में एक मजिस्ट्रेट ने उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई थी। इस सजा को मंगलवार को सत्र न्यायाधीश ने भी बरकरार रखा था।

भारती ने उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में दावा किया कि विशेष न्यायाधीश ने उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया और सजा सुनाई।

उन्होंने कहा कि मामले में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और निचली अदालत का फैसला अभियोजन द्वारा गढ़ी गई पूरी तरह झूठी एवं मनगढ़ंत कहानी पर आधारित है।

भारती ने अपनी याचिका में कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत और सत्र अदालत ने इस बात पर गौर नहीं किया कि वह मौजूदा और तीसरी बार विधायक हैं तथा समाज में उनकी अच्छी प्रतिष्ठा है और वह अपना पूरा समय समाज सेवा में लगाते हैं।

उन्होंने कहा कि यह मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है।

विशेष न्यायाधीश ने भारती की अपील आंशिक रूप से खारिज कर दी थी और उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा) करने (धारा 149 (अवैध रूप से एकत्र होने) के साथ पढ़ा जाए) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम अधिनियम की धारा तीन के तहत दोषी ठहराया था।

बहरहाल, अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 353 (लोकसेवक को कर्तव्य करने से रोकने के लिए हमला करना) (धारा 149 के तहत पढ़ा जाए) के तहत दोषसिद्धि को खारिज कर दिया।

भारती ने कहा था कि एम्स को गौतम नगर और रिंग रोड के बीच नाले को ढकने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह सार्वजनिक सम्पत्ति है। जांच में पता चला कि यह नाला ढकने और मरम्मत कार्य के लिए एम्स को पट्टे पर दिया गया था।

सत्र अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के बयान बताते हैं कि एम्स की दीवार के निकट भारती 200 से 300 लोगों के साथ मौजूद थे और वे जीसीबी मशीन की मदद से दीवार और बाड़ तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। जब कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने इसका विरोध किया, तो उन्हें अपशब्द कहे गए और भीड़ के पथराव के कारण वे घायल हो गए।

भारती को जनवरी में मामले में दोषी ठहराए जाने और जेल की सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर करने के लिए जमानत दे गई थी।

यह मामला एम्स के मुख्य सुरक्षा अधिकारी आर एस रावत की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया था।

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Web Title: High court bans Somnath Bharti's two-year imprisonment

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