रांची: कोरोना के जारी कहर के बीच इस वायरस से लड़ने के लिए झारखंड के सारंडा वन प्रमंडल ने हर्बल इम्यूनिटी बूस्टर पेय पदार्थ तैयार किया है. यह न केवल काम करने की क्षमता को बढ़ता है, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधकता को भी मजबूत करता है. इसी को ध्यान में रखते हुए सारंडा इम्यूनिटी बूस्टर काढ़ा का निर्माण किया गया है. करमपदा स्थित केंद्र में वन समिति के द्वारा प्रशिक्षण केंद्र के आयुर्वेदाचार्य के नेतृत्व में यह काढ़ा तैयार किया गया है.
बताया जाता है कि केंद्रीय आयुष मंत्रालय के निर्देश पर इसका निर्माण किया गया है. डीसी, एसपी और डीडीसी ने इस हर्बल पेय पदार्थ का सेवन कर उसका लोकार्पण किया. कहा गया कि मौजूदा समय में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए ये लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. वन प्रमंडल के अधिकारियों ने इस बात का दावा किया. आयुष मंत्रालय के द्वारा दिए गए गाइडलाइन के तहत सारंडा वन क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय गुणों से परिपूर्ण जड़ी बूटियों की मदद से प्रशिक्षण केंद्र के आयुर्वेदाचार्य मधुसूदन मिश्रा के नेतृत्व में काढ़े को तैयार किया गया है. इस पेय पदार्थ के निर्माण में मुख्यतः गिलोय, अर्जुन वृक्ष की छाल, अमरूद की पत्तियां, अदरक, काली मिर्च, गुड इत्यादि का प्रयोग किया गया है. आयुष विभाग से हर्बल पेय पदार्थ को मान्यता प्राप्त होने के बाद इस पेय पदार्थ को राज्य की दवा दुकानों पर भी उपलब्ध करवाया जाएगा.
उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि इस पेय पदार्थ के निर्माण में जुड़े स्थानीय वन समितियों के सदस्यों के आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी तथा वर्तमान समय में कोरोना वायरस से जारी इस जंग में एक मजबूत सहारा भी होगा. वहीं, वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कोरोना से सीधी जंग लड़ रहे डाक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ, पुलिस एवं निगमकर्मियों के लिए यह आयुर्वेदिक पेय पदार्थ टॉनिक के रूप में काम करेगा. इसे जिले के डीसी अरवा राजकमल, एसपी इंद्रजीत महथा, डीडीसी आदित्य रंजन, सिविल सर्जन मंजू दुबे और सारंडा डीएफओ रंजनीश कुमार ने खुद पीकर इसे लॉन्च किया. इसे सारंडा के जंगल की कई जडी-बूटियों और बाजार में उपलब्ध सामग्रियों से तैयार किया गया है.
सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि अर्जुन पेड़ की छाल, अमरूद, गोलाय, तुलसी के पत्ते, गुड, काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी, अदरख, लौंग, नींबू को मिक्सी में पीसकर पेस्ट बनाया जाता है. उसके बाद उसे डेढ-दो घंटे कड़ाही में खौलाने के बाद ठंडा होने के लिए रखा जाता है. ठंडा होने के बाद यह पेय पदार्थ पीने लायक हो जाता है. इसको तैयार करने के लिए सारंडा वन समितियों के 120 लोगों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. फिलहाल इसकी टेस्ट प्रक्रिया चल रही है. जल्द मान्यता लेकर इसे बाजार में उतारा जाएगा. वहीं, डीसी अरवा राजकमल ने वन अधिकारियों के प्रयास की सराहना करते कहा कि इससे लोगों को कोरोना संकट में काम मिलेगा.