अल्पसंख्यक दर्जा देने से जुड़े मामले उच्चतम न्यायालय में हस्तांतरित करने संबंधी याचिका पर होगी सुनवाई

By भाषा | Updated: December 16, 2021 20:30 IST2021-12-16T20:30:35+5:302021-12-16T20:30:35+5:30

Hearing on the petition to transfer the matters related to minority status to the Supreme Court | अल्पसंख्यक दर्जा देने से जुड़े मामले उच्चतम न्यायालय में हस्तांतरित करने संबंधी याचिका पर होगी सुनवाई

अल्पसंख्यक दर्जा देने से जुड़े मामले उच्चतम न्यायालय में हस्तांतरित करने संबंधी याचिका पर होगी सुनवाई

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह मुसलमानों, इसाइयों, सिखों, बौद्ध और पारसियों को, उन राज्यों में भी जहां वे बहुसंख्यक हैं, अल्पसंख्यक घोषित करने संबंधी केन्द्र की अधिसूचना के खिलाफ विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को अपने पास हस्तांतरित करने संबंधी याचिका पर सात जनवरी को सुनवाई करेगा।

उच्चतम न्यायालय ने इस साल नौ फरवरी को गृह मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर समान याचिकाओं को अपने पास हस्तांतरित करने संबंधी याचिका पर उनका जवाब मांगा था।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुन्दरेश की पीठ से याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अनुरोध किया था कि याचिका पर सुनवाई की जरुरत है क्योंकि इसे कार्यसूची से छह बार हटाया जा चुका है।

अधिवक्ता ने कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कानून, 1992 और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान आयोग कानून, 2004 की वैधता को चुनौती दी है।’’

पीठ ने सवाल किया, ‘‘जल्दी क्या है।’’

उपाध्याय ने कहा कि केन्द्रीय और राज्यों की सरकारें हर साल हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं और जिन राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं उन्हें वहां अल्पसंख्यकों वाला कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

इससे पहले भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस दलील पर संज्ञान लिया था कि दिल्ली, मेघालय और गुवाहाटी में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून, 1992 के प्रावधान 2(सी) की वैधता को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाएं लंबित हैं। इसी कानून के तहत 23 अक्टूबर, 1993 में उक्त अधिसूचना जारी की गई थी।

स्थानांतरण याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिसूचना में पांच समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित कर दिया गया, स्थिति ऐसी पैदा हो गई है कि जहां उनकी आबादी बहुसंख्यक है जैसे पंजाब में सिख और जम्मू-कश्मीर में मुसलमान, वे लोग उन राज्यों में भी अल्पसंख्यकों के लिए बनी सुविधाओं का उपभोग कर रहे हैं।

उपाध्याय ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि इस मुद्दे पर ठोस और आधिकारिक फैसले के लिए वह सभी उच्च न्यायालय में लंबित संबंधित मामलों को अपने पास स्थानांतरित करे।

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Web Title: Hearing on the petition to transfer the matters related to minority status to the Supreme Court

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