भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो चीफ के. सिवन ने कहा है कि हम विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर बहुत अच्छे से काम कर रहा है। ऑर्बिटर में 8 इंस्ट्रूमेंट्स हैं और प्रत्येक इंस्ट्रूमेंट अपना काम अच्छे से कर रहे हैं। भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए सिवन ने कहा कि हमारी अगली प्राथमिकता गगनयान मिशन है।
इससे पहले चंद्रयान-2 के ‘लैंडर’ विक्रम से शीघ्र संपर्क साध कर उसमें मौजूद ‘रोवर’ प्रज्ञान को उपयोग में लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा था। ‘लैंडर’ विक्रम के चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर को तड़के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के दौरान आखिरी क्षणों में उसका इसरो के जमीनी स्टेशनों से संपर्क टूट गया था। उस वक्त विक्रम पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) से महज 2.1 किमी ऊपर था। ‘लैंडर’ विक्रम के अंदर ‘रोवर’ प्रज्ञान भी है।
21 सितंबर को चंद्रमा पर रात होने जाने की वजह से विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीदें थम गई हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ऑर्बिटर भी विक्रम की तस्वीरें लेने में असफल रहा था। अधिकारियों ने बताया कि 19 सितंबर को चंद्रमा पर शाम होने की वजह से हो सकता है कि विक्रम परछाई में छिप गया हो।
क्या है गगनयान मिशन
गगनयान मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। इसमें पहली बार इसरो तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा के लिए भेजेगा। इसके लिए 2022 की डेडलाइन रखी गई है। इस मिशन पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे।