जनादेश ने BJP नेतृत्व को पसोपेश में डाला, महाराष्ट्र में शिवसेना के तीखे तेवर, इन मुद्दों को नजरअंदाज करना बीजेपी को पड़ा भारी
By हरीश गुप्ता | Published: October 25, 2019 08:28 AM2019-10-25T08:28:01+5:302019-10-25T08:28:43+5:30
यह स्पष्ट है कि आर्थिक सुस्ती, बढ़ती बेरोजगारी, बैंकिंग संकट और भाजपा का इन सबको खारिज करना पार्टी के खराब प्रदर्शन के चंद कारणों में शामिल हैं.
महाराष्ट्र में बहुत कम अंतर से जीत और हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा ने भाजपा नेतृत्व को उलझन में डाल डाल दिया है. भाजपा संसदीय बोर्ड मंथन में जुट गया है कि खासकर हरियाणा में क्या गलती हुई कि आठ कद्दावर निवर्तमान मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा और पार्टी वहां अपने दम पर बहुमत हासिल करने में विफल रही.
हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र के लोगों को पार्टी की जीत पर बधाई दी है. उन्होंने हरियाणा के लोगों को भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बनाने के लिए धन्यवाद दिया है, लेकिन जनादेश ने भाजपा की रणनीतिक खामी को उजागर कर दिया है. पार्टी को इस बात की गहन समीक्षा करनी होगी कि आखिर क्या गलती हुई.
भाजपा नेतृत्व के कई लोगों का मानना है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करना, चुनाव से दो दिन पहले दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक और दोनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 16 रैलियों को संबोधित करने की वजह से नतीजे भाजपा के लिए और अधिक निराशाजनक हो सकते थे.
यह स्पष्ट है कि आर्थिक सुस्ती, बढ़ती बेरोजगारी, बैंकिंग संकट और भाजपा का इन सबको खारिज करना पार्टी के खराब प्रदर्शन के चंद कारणों में शामिल हैं. महाराष्ट्र में जीत के बावजूद भाजपा को शिवसेना के रवैये को लेकर आशंका है क्योंकि उसके पास जीत का कार्ड है.
शिवसेना ने आदित्य ठाकरे को अपना मुख्यमंत्री पद का चेहरा के रूप में पेश किया है. अब अगली सरकार बनाने के लिए भाजपा, शिवसेना पर निर्भर हो गई है इसलिए कठिन सौदेबाजी शुरू हो जाएगी. सोनिया गांधी की अगुवाई वाले कांग्रेस नेतृत्व ने राकांपा प्रमुख शरद पवार से संप्रग के हित में निर्णय लेने के लिए कहा है. भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की रणनीति की किसी को जानकारी नहीं है.
90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा करीब 40 सीटों के आंकड़े पर अटकी है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा की अगुवाई में कांग्रेस केवल 30 सीटों पर कब्जा करने में सफल रही है.
जेजेपी प्रमुख चौटाला दिल्ली में जमे
हरियाणा में सत्ता की चाबी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और 10 अन्य के पास है. वहीं, इनेलो का एक विधायक और कुछ निर्दलीय जो भाजपा के बागी हैं, वे इस भगवा पार्टी का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन 'आया राम गया राम' की रणनीति कैसी होगी, यह साफ नहीं है. 10 विधायकों वाले दुष्यंत चौटाला दिल्ली में बातचीत के लिए जमे हुए हैं. वैसे, यह निश्चित नहीं है कि वह भाजपा के साथ जाएंगे या कांग्रेस के साथ.
खट्टर आज ले सकते हैं शपथ
आठ निदर्लीय विधायकों के भाजपा को समर्थन देने की घोषणा के साथ हरियाणा में असमंजस की स्थिति समाप्त हो गई है. भाजपा महासचिव अनिल जैन ने कहा कि चीजें सही दिशा में चल रही हैं. संकेत हैं कि मनोहर लाल खट्टर शुक्रवार को फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. पार्टी ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन का पत्र मिलने का दावा किया है. हरियाणा में बहुमत में विफल रहने वाली भाजपा निदर्लीय विधायकों के समर्थन से पूर्ण बहुमत हासिल कर लेगी.