Happy Mother's Day Wishes: इतिहास में 11 मई के नाम बेहद खास है। यह दिन इतिहास में एक और खास घटना के साथ दर्ज है। मातृ दिवस के अवसर पर सभी मातृ शक्ति का वंदन-अभिनंदन करते हुए शुभकामनाएं। संस्कृत में श्लोक है, ‘‘या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै।। नमस्तस्यै।। नमस्तस्यै नमो नमः।’’ मातृ दिवस की समूची मातृशक्ति को हार्दिक अभिनंदन!’’ परिवार की एकता एवं सुमति की सेतु मां, संस्कारों की प्रथम शिल्पकार होती है। मां हमें जीवन देने के साथ ही उसे अर्थमय भी बनाती है। समस्त मातृशक्ति का वंदन-अभिनंदन।
Happy Mother's Day Wishes: मां पर विशेष कविता-
माँ, होती है केवल माँघर की आन-बान-शानपापा का धनमाँ, जिसके विश्वास के आगेबौना नज़र आता है हिमालयमाँ, जिसकी पवित्रता के आगेमैली नज़र आती है गंगा
माँ के चरणों की रज हैं दुनिया के सभी धर्मकोई देवता नहींजो हो सके खड़ा माँ के सामनेघर की बुनियाद है माँहर मुसीबत फरियाद है माँ
माँ तू है तो पैन्ट दूसरे दिन धुलता हैतू नहीं तो वही पैन्ट सप्ताह भर चलता हैमाँ तू है तो घर में हास है, परिहास हैतू नहीं तो ज़र्रा-ज़र्रा उदास हैमाँ तू है तो रोटी जली है सब्जी में नमक ज़्यादा हैतू नहीं तो सब सीधा-साधा है
माँ तू है तो करवा चौथ है, अहोई अष्टमी हैतू नहीं तो ये धरती रुष्टमी हैमाँ तू है तो जन्नत है स्वर्ग हैतू नहीं तो दोज़ख है, नरक है
माँ जब लगाती है घर में पौंछातो प्रवेश नहीं करने देती पापा कोबच्चों के प्रवेश पर लगाती है कई बार पौंछामाँ के हाथ से बना खाना लज़ीज़ होता हैऔर हाथ से धुले कपड़े गृहस्थी का आईना
माँ जीती पापा के लिए हैऔर मरती सन्तान के लिए है...।
कौन हैं डॉ. धर्मराज
जन्म- 25 दिसम्बर, 1968 को मथुरा जनपद के ऐतिहासिक कस्बा सोंख में
शिक्षा- Ph.D. (सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' के कथा-साहित्य में चित्रित समाज विषय पर)
सम्प्रति- डीन, फैकल्टी ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड साइंसेज केएम विश्वविद्यालय, मथुरा
अब तक 4 पुस्तकें प्रकाशित
1. आदमी अब भी अकेला है2. कुछ दिन और3. कह दो अधरों से4. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का कथा-साहित्य और समाज