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ज्ञानवापी विवाद: अखिलेश यादव की चुप्पी को दरकिनार करते हुए सपा सांसद ने कहा, "ज्ञानवापी मस्जिद में कोई 'शिवलिंग' नहीं है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: May 22, 2022 14:19 IST

समाजवादी पार्टी के संभल से सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने रविवार को लखनऊ में कहा कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में कोई 'शिवलिंग' नहीं है।

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ठळक मुद्देसपा सांसद ने कहा वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में कोई 'शिवलिंग' नहीं हैइस विवाद को केवल इसलिए हवा दी जा रही है ताकि 2024 में इसका फायदा उठाया जा सकेअयोध्या में राम मंदिर बन रहा है लेकिन फिर भी मैं आज कह रहा हूं कि वहां एक मस्जिद है

लखनऊ:समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर अभी तक कुछ भी साफ कहने से बच रहे हैं लेकिन उनकी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने रविवार को बड़े ही बेबाक अंजाद में कहा कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में कोई 'शिवलिंग' नहीं है।

सपा सांसद ने कहा कि कुछ लोगों और संगठनों के इस गढ़े हुए विवाद को केवल इसलिए हवा दी जा रही है ताकि साल 2024 में होने वाले संसदीय चुनावों में दल विशेष को फायदा पहुंचाया जा सके और खास तबके के वोटबैंक को हासिल करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

समाजवादी पार्टी के संभल से लोकसभा सांसद बर्क ने लखनऊ दफ्तर में ज्ञानवापी मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए पत्रकारों से कहा, "ये केवल हवा बनाने के लिया जा रहा है और इससे पैदा होने वाली परिस्थितियों का इस्तेमाल 2024 के चुनावों में किया जाएगा। इतिहास इस बात की गवाही दे रहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद में कोई 'शिवलिंग' नहीं था और शिवलिंग मिलने की जो अफवाह फैलाई जा रही है, वो सरासर गलत है।"

सपा प्रमुख अखिलेश यादव से पार्टी दफ्तर पहुंचे बर्क ने अयोध्या में बन रहे राम मंदिर पर टिप्पणी करते हुए कहा, "अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है लेकिन फिर भी मैं आज कह रहा हूं कि वहां एक मस्जिद है। ये दल विशेष अपने ताकत के बल-पर जबरन कर रहा है और यह सीधे तौर पर बहुसंख्यकवाद का शक्ति का प्रदर्शन है।"

इसके साथ ही उन्होंने कहा, "देश में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। उनकी मस्जिदों पर हमले हो रहे हैं। ये सब देख रहे हैं, लेकिन सरकार इस तरह से नहीं चलती है। सरकार ईमानदारी और कानून के बल पर शासन करती है न कि बुलडोजर के नियम से। कानून सभी के लिए समान है और इसका पालन सभी को करना चाहिए।"

मालूम हो कि जब से ज्ञानवापी विवाद का मुद्दा उठा है, सपा, बसपा और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल के प्रमुख ज्ञानवापी का नाम लेने से बच रहे हैं लेकिन सभी दल इस बात को जरूर कह रहे हैं कि कोर्ट किसी भी धार्मिक स्थल विवाद को प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के जरिये सुलझाने की कोशिश करे। फिलहाल ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ वाराणसी की जिला अदालत के सामने है।

हिंदू पक्ष वाराणसी की सिविल कोर्ट के द्वारा कराये गये वीडियो सर्वे के बाद इस बात का दावा कर रहे हैं कि मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिला है, वहीं मुस्लिम पक्ष हिंदू मत को खारिज करते हुए शिवलिंग को फव्वारा बता रहा है। अब सुप्रीम कोर्ट और वाराणसी की जिला अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है, ये तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन इस विवाद में यह तो तय है कि राजनीति लंबी होगी। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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