ज्ञानवापी केस: उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद समिति की याचिका खारिज की, जानिए क्या था मामला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 3, 2023 08:08 PM2023-11-03T20:08:02+5:302023-11-03T20:09:13+5:30

अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा एकल न्यायाधीश पीठ से मामले को वापस लिए जाने और इसे किसी अन्य पीठ को सौंपे जाने को चुनौती दी थी। यह मामला अब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अध्यक्षता वाली एक पीठ को सौंपा गया है।

Gyanvapi case Supreme Court rejected the petition of mosque committee, know what was the matter | ज्ञानवापी केस: उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद समिति की याचिका खारिज की, जानिए क्या था मामला

(फाइल फोटो)

Highlightsउच्चतम न्यायालय ने मस्जिद समिति की याचिका खारिज कीज्ञानवापी मामला उच्च न्यायालय की दूसरी पीठ को भेजने के खिलाफ दायर याचिका खारिज की एआईएमसी ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति (एआईएमसी) की वह याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी, जिसमें ज्ञानवापी मामले की 2021 से सुनवाई कर रही एकल न्यायाधीश की पीठ से मामला वापस लेने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी गई थी।

एकल न्यायाधीश की पीठ एआईएमसी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद वाली जगह पर मंदिर बनाने का अनुरोध करने वाले वाद की विचारणीयता को चुनौती दी गई थी। एआईएमसी ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मस्जिद समिति का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘मामला खारिज किया जाता है।’ पीठ ने कहा, "हमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए...उच्च न्यायालयों में यह एक बहुत ही मानक प्रथा है। यह उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के दायरे में होना चाहिए।"

अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा एकल न्यायाधीश पीठ से मामले को वापस लिए जाने और इसे किसी अन्य पीठ को सौंपे जाने को चुनौती दी थी। यह मामला अब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की अध्यक्षता वाली एक पीठ को सौंपा गया है। सुनवाई की शुरुआत में, अहमदी ने कहा कि उच्च न्यायालय की पिछली एकल पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली थी और 25 अगस्त को फैसला सुनाया जाना था, लेकिन उसी दिन उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने ‘रोस्टर’ में बदलाव के आधार पर मामला पीठ से वापस ले लिया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि वादकार इस बात को नहीं चुन सकते कि कौन सी पीठ मामले की सुनवाई करेगी, लेकिन वह इस मुद्दे को उठा रहे हैं, क्योंकि मामले का स्थानांतरण "न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग" के समान है। उन्होंने कहा कि एकल पीठ 2021 से मामले की सुनवाई कर रही थी।

प्रधान न्यायाधीश ने याचिका खारिज करने से पहले मामले को स्थानांतरित करने के कारणों का अवलोकन किया और कहा कि वह इसे खुली अदालत में नहीं पढ़ना चाहते। उन्होंने कहा, "देखिए, विद्वान मुख्य न्यायाधीश ने आखिरी तीन पंक्तियों में क्या लिखा...हम इसे खुली अदालत में नहीं पढ़ना चाहते...यह असाधारण है। ऐसा कभी नहीं हुआ। हम इसे वहीं छोड़ देंगे। मैं बहुत नहीं कहना चाहता...।" वह स्पष्ट तौर पर इस तथ्य का जिक्र कर रहे थे कि मामले की फाइलें न्यायाधीश के कक्ष में रखी रहीं और कभी भी उच्च न्यायालय रजिस्ट्री को वापस नहीं भेजी गईं। उन्होंने कहा, "अगर हम उच्च न्यायालयों में प्रभारी लोगों पर भरोसा नहीं करेंगे, तो तंत्र कहां जाएगा।" 

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 अक्टूबर को एआईएमसी की याचिका पर सुनवाई आठ नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा था कि उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, लेकिन रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने के लिए उसे और समय चाहिए। इसके बाद दो नंवबर को वाराणसी की एक अदालत ने एएसआई को 17 नवंबर तक का समय दिया था। एएसआई को पहले छह नवंबर तक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सौंपनी थी।

Web Title: Gyanvapi case Supreme Court rejected the petition of mosque committee, know what was the matter

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे