Lok Sabha Elections 2024: 47 सालों के राजनीतिक करियर में आजाद ने 3 बार जम्मू कश्मीर से किस्मत आजमाई, बस 1 बार जीते
By सुरेश एस डुग्गर | Published: April 3, 2024 04:56 PM2024-04-03T16:56:38+5:302024-04-03T17:15:25+5:30
Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर से लोकसभा चुनाव जीत कर इस मिथ्य को तोड़ना चाहते हैं कि वे भी राज्य से लोकसभा चुनाव जीत सकते हैं।
Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाने वाले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर से लोकसभा चुनाव जीत कर इस मिथ्य को तोड़ना चाहते हैं कि वे भी राज्य से लोकसभा चुनाव जीत सकते हैं। अभी तक राज्य से मात्र एक बार विधानसभा का चुनाव जीत पाने वाले गुलाम नबी आजाद कई सालों तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। अपने 47 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने राज्य में मात्र तीन बार ही किस्मत आजमाई थी।
हालांकि, 1977 में पहली बार जमानत जब्त करवाने वाले गुलाम नबी आजाद ने 30 सालों के बाद वोट पाने का रिकॉर्ड तो बनाया था, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या वे अब कश्मीर से लोकसभा चुनाव भी जीत सकेंगें क्योंकि एक बार 2014 में वे लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं।
वैसे साल 1977 में उन्होंने अपने गृह जिले डोडा से विधानसभा चुनाव जीतने की कोशिश में मैदान में छलांग मारी थी, मगर वे उसमें कामयाब नहीं हो पाए थे। फिर वे केंद्रीय राजनीति की ओर ऐसे गए कि पीछे मुढ़ कर उन्होंने कभी नहीं देखा। यहां तक की उन्होंने कभी लोकसभा का चुनाव भी लड़ने की नहीं सोचा। फिर गुलाम नबी आजाद ने 27 अप्रैल 2006 को उस मिथ्य को तोड़ा था जो उनके प्रति कहा जाता था कि वे राज्य से कोई चुनाव नहीं जीत सकते।
अपने गृह कस्बे से चुनाव जीतना उनका एक सपना था। वह 27 अप्रैल 2006 को पूरा हुआ था। इस सपने के पूरा होने की कई खास बातें भी थीं और कई रिकॉर्ड भी। अगर 30 साल पहले इसी चुनाव मैदान में आजाद की जमानत जब्त हो गई थी तो अब वे एक नए रिकॉर्ड से जीत दर्ज कर पाए थे।
तब गुलाम नबी आजाद ने 58515 मतों की जीत के अंतर से यह चुनाव जीता था। यह अपने आपमें एक रिकॉर्ड था, क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी तक किसी भी नेता या मुख्यमंत्री पद के दावेदार किसी उम्मीदवार को इतनी संख्या में वोट नहीं मिले थे। अभी तक का रिकॉर्ड पूर्व मुख्यमंत्री शेख मुहम्मद अब्दुल्ला का रहा था जिन्होंने 1977 के विधानसभा चुनाव में गंदरबल सीट से चुनाव जीता तो था लेकिन जीत का अंतर 26162 ही था।
वर्ष 2006 से पहले तक राज्य से विधानसभा या लोकसभा का कोई चुनाव न जीत पाने वाले गुलाम नबी आजाद ने जब 2 नवम्बर 2005 को राज्य के मुख्यमंत्री का पद संभाला था तो वे उस समय राज्यसभा के सदस्य थे और जिस प्रकार उनकी जीत ने रिकार्ड कायम किया था ठीक उसी प्रकार उनके पक्ष में एक रिकार्ड यह भी रहा था कि अपने 47 साल के राजनीतिक कैरियर में वे राज्य से कभी लोकसभा या विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाए थे।
आजाद ने अपने सपने को पूरा किया था। उनके सपने को पूरा होने में 30 साल का समय लगा था। तीस साल पहले इसी विधानसभ क्षेत्र से उनकी जमानत जब्त हो गई थी तो 30 सालों के बाद रिकार्ड संख्या में जो मत उन्हंे मिले थे उनके पीछे का एक अन्य रिकार्ड यह भी था कि वे राज्य के पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने चुनाव पर्चा भरने के बाद अपने विधनसभा क्षेत्र में एक भी रैली को संबोधित नहीं किया था और न ही अपनी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को कोई चुनाव प्रचार करने दिया था।
अब जबकि आजाद ने अपनी नई पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के बैनर तले अनंतनाग राजौरी सीट से मैदान में उतरने की घोषणा की है इस कारण मुकाबला रोचक होने की संभावना इसलिए बन गई है क्योंकि आजाद के साथ काग्रेस का एक तबका आज भी सहानुभूति रखता है और कांग्रेस ने इस संसदीय क्षेत्र में नेकां को समर्थन देने की घोषणा की है। हालांकि इससे पहले गुलाम नबी आजाद उधमपुर डोडा सीट से 2014 में चुनाव हार गए थे।