गुजरात: सास को 1,177 वोटों से हराकर सरपंच बनी बहू, 2011 और 2016 में पति तो 2006 में सास बन चुकी हैं सरपंच

By विशाल कुमार | Published: December 22, 2021 01:13 PM2021-12-22T13:13:44+5:302021-12-22T13:17:46+5:30

रविवार को मतदान के दौरान डेलवाड़ा के 5,000 से अधिक निवासियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मंगलवार को मतगणना के दौरान पूजा ने अपनी सास को 1,177 मतों से हराया।

gujarat-panchayt-elections-2021-gir-somnath-village-sarpanch | गुजरात: सास को 1,177 वोटों से हराकर सरपंच बनी बहू, 2011 और 2016 में पति तो 2006 में सास बन चुकी हैं सरपंच

गुजरात: सास को 1,177 वोटों से हराकर सरपंच बनी बहू, 2011 और 2016 में पति तो 2006 में सास बन चुकी हैं सरपंच

Highlightsमामला गिर सोमनाथ जिले के डेलवाड़ा गांव का है जिसकी मतगणना मंगलवार को हुई।पूजा बंभानिया ने अपनी सास जीवीबेन बंभानिया को 1,177 मतों से हराया।पूजा के पति विजय निवर्तमान सरपंच हैं, जो इस पद पर दो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं।

राजकोट:गुजरात में रविवार को हुए सरपंच चुनाव के एक दिलचस्प मुकाबले में एक महिला ने अपनी सास को हरा दिया और सरपंच बन गई. यह मामला गिर सोमनाथ जिले के डेलवाड़ा गांव का है जिसकी मतगणना मंगलवार को हुई।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गिर सोमनाथ जिले के उना तालुका के डेलवाड़ा ग्राम पंचायत में रविवार को चुनाव हुआ था. ग्राम सरपंच पद के लिए मुख्य मुकाबला पूजा बंभानिया और उनकी सास जीवीबेन बंभानिया के बीच था।

दिलचस्प बात यह है कि जीवीबेन के बेटे और पूजा के पति विजय निवर्तमान सरपंच हैं, जो इस पद पर दो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं। भाजपा कार्यकर्ता बन चुके  है, विजय ने डेलवाड़ा ग्राम पंचायत के लिए 2011 का चुनाव जीता था और 2006 में सरपंच चुनी गई अपनी मां की जगह ली थी।

मतगणना मंगलवार को हुई और मंगलवार देर रात घोषित परिणामों में पूजा विजयी रही। इतना ही नहीं, उनके उम्मीदवारों के पैनल ने ग्राम पंचायत के सभी 16 चुनावी वार्डों में जीत हासिल की, जिससे उनकी प्रतिद्वंद्वी सास जीवीबेन की राह पूरी हो गई।

रविवार को मतदान के दौरान डेलवाड़ा के 5,000 से अधिक निवासियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मंगलवार को मतगणना के दौरान पूजा ने अपनी सास को 1,177 मतों से हराया।

पूजा ने कहा कि मैं इसे अपने परिवार में राजनीतिक लड़ाई के रूप में नहीं देखती हूं। केवल इसी चुनाव को सास-बहू के बीच लड़ाई होने की टैगलाइन दी गई थी। यह डेलवाड़ा के बाहर के असामाजिक तत्वों के खिलाफ लड़ाई थी जो डेलवाड़ा के निवासियों को परेशान कर रहे थे, धमका रहे थे और डरा रहे थे। पूजा और उनके पैनल ने ग्राम पंचायत के 16 वार्डों के लिए गमले के चिन्ह पर चुनाव लड़ा था।

विजय ने परिवार में दरार के लिए भाजपा के एक पूर्व विधायक को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि विधायक ने ग्राम पंचायत चुनाव में उनकी मां का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि चुनाव में उनकी पत्नी और मां के बीच आमने-सामने की लड़ाई से परिवार को काफी दुख पहुंचा है।

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