गुजरात: अदालत ने 2002 की हिंसा में हत्या और गैंगरेप के 26 आरोपियों को किया बरी
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 2, 2023 01:31 PM2023-04-02T13:31:34+5:302023-04-02T13:35:44+5:30
गुजरात के पंचमहल के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने साल 2002 के गोधरा हिंसा में 26 आरोपियों को गैंगरेप और हत्या के मामले में सबूतों न होने के कारण बरी कर दिया है।
पंचमहल: गुजरात के पंचमहल के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने साल 2002 के गोधरा हिंसा में 26 आरोपियों को गैंगरेप और हत्या के मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। यह केस 2002 में कलोल क्षेत्र में हुई अलग-अलग घटनाओं के मामले में था। इस केस में कुल 39 अभियुक्त थे, जिसमें से 13 की मौत मुकदमे की सुनवाई के दौरान हो गई थी। इस कारण से उनके खिलाफ स्वतः मुकदमा समाप्त हो गया था।
पंचमहल जिले के हलोल में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लीलाभाई चुडासमा की अदालत ने बीते शुक्रवार को सबूतों के अभाव में बरी किये गये 26 लोगों के आदेश में कहा, "इस केस में कुल 39 आरोपी थे, जिसनें से 13 की मौत सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। अब चूंकि 26 अन्य को सबूतों के अभाव में बरी किया जा रहा है। इस कारण से यह केस समाप्त किया जाता है।"
पुलिस की चार्जशीट के अनुसार सभी आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे, जिसने 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर खड़ी साबरमती ट्रेन में हुई आगजनी के बाद 1 मार्च, 2002 को कलोल थाना क्षेत्र में बुलाये गये बंद के आह्वान के दौरान हिंसा की। मामले में अभियोजन पक्ष ने कोर्ट के सामने अपने तर्क को पेश करते हुए 190 गवाहों और 334 दस्तावेजी सबूत पेश किये, लेकिन अदालत ने अभियोजन के गवाहों के बयानों में विरोधाभास मानते हुए आरोपियों को संदेह का लाभ दिया और अभियोजन पक्ष के तर्क को खारिज करते हुए बरी कर दिया।
मालूम हो कि गोधरा ट्रेन कांड के बाद 1 मार्च 2002 को गांधीनगर जिले के कलोल शहर में हुई हिंसा की कई घटनाओं में आरोपियों की भिड़ ने कथिततौर से दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया। उनमें आग लगा दी और कई लोगों की हत्याएं की थी।
वहीं एक अन्य घटना में हमालवरों की भीड़ ने डेलोल गांव से भागकर कलोल की ओर आ रहे 38 लोगों पर हमला किया और उनमें से 11 को जिंदा जला दिया गया। पुलिस की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार आरोपियों ने एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार भी किया, जब वो खुद के बचाने के लिए भाग रही थी।