देश के असंगठित लघु उद्योगों के विकास के लिए वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने मुद्रा लोन योजना शुरू की, लेकिन काफी प्रचार-प्रसार कर शुरू की गई इस योजना के बारे में अब सरकार की ओर से ही विसंगतिपूर्ण जानकारी दी गई है.
इस योजना के तहत सालभर में ऋण खातों की संख्या और वितरित ऋण के संबंध में अलग-अलग जानकारी दी गई है. इससे यह सवाल उठने लगा है कि सरकारी स्तर पर आंकड़ों का गड़बड़झाला तो नहीं किया जा रहा है? माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड की एक ही विषय से संबंधित सूचना के अधिकार के तहत दी गई दो अर्जियों में अलग-अलग जानकारी दिए जाने से यह खुलासा हुआ है.
आरटीआई कार्यकर्ता अभय कोलारकर ने सूचना के अधिकार के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कुछ सवाल किए थे. इनमें 2018-19 में कितने लाभार्थियों के मुद्रा लोन योजना के तहत कितने कर्ज खाते खोले गए? वितरित किए गए कर्ज की रकम कितनी थी? कितनी रकम एनपीए हो गई? आदि सवालों का समावेश था.
इसके जवाब में मुद्रा से 19 अगस्त 2019 को प्राप्त हुई अधिकृत जानकारी के अनुसार अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक 1 करोड़ 44 लाख 55 हजार 712 मुद्रा ऋण खाते खोले गए. 69,894.08 करोड़ रुपए का ऋण वितरित किया गया. लेकिन मुद्रा की ओर से 11 मार्च 2019 को भी सूचना के अधिकार के तहत दी गई अर्जी के जवाब में अप्रैल 2018 से दिसंबर 2018 तक आठ महीनों के आंकड़े दिए गए थे.
इनके अनुसार इन आठ महीनों में ऋण खातों का आंकड़ा 3 करोड़ 6 लाख 14 हजार 128 रुपए था और ऋण खाता धारकों को 1,54,918.59 करोड़ रुपए का कर्ज वितरित किया गया. उपरोक्त आंकड़ों के अनुसार कुल ऋण खाते और वितरित की गई ऋण निधि के सालभर के आंकड़े इन आठ महीनों के आंकड़ों से कम नजर आ रहे हैं.
एनपीए का आंकड़ा 17 हजार करोड़ रु. से अधिक इस बीच, 2015 से अनेक कर्जदारों ने प्राप्त हुए कर्ज की रकम लौटाने में टालमटोल की है. बैंकों द्वारा निरंतर तगादा लगाने पर भी कोई प्रतिसाद न मिलने से यह कर्ज खाते एनपीए घोषित कर दिए गए हैं.
31 मार्च 2019 के अंत में इस योजना के तहत एनपीए खातों की संख्या 36 लाख 96 हजार 19 थी और एनपीए की रकम 17 हजार 712 करोड़ 63 लाख रुपए थी.