असम के डिटेंशन सेंटर में रह रहे विदेशी नागरिकों को रिहा करेगी सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
By अनुराग आनंद | Published: April 14, 2020 06:00 AM2020-04-14T06:00:42+5:302020-04-14T06:00:42+5:30
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने शीर्ष अदालत के 10 मई, 2019 के आदेश का हवाला देते हुए व्यक्तिगत बॉन्ड राशि को एक लाख रुपये से घटाकर पांच हजार रुपये कर दिया है।
नई दिल्ली: कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने असम डिटेंशन सेंटर में रह रहे विदेशी लोगों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को आदेश जारी कर कहा कि जिनको विदेशी घोषित किया जा चुका है और जो दो साल या उससे अधिक समय से असम के डिटेंशन सेंटर में बंद हैं, ऐसे सभी लोगों को रिहा किया जाए। कोरोना वायरस संक्रमण के देश में तेजी से हो रहे फैलाव को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सरकार को ये फैसला दिया है।
द हिन्दू के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने शीर्ष अदालत के 10 मई, 2019 के आदेश का हवाला देते हुए व्यक्तिगत बॉन्ड राशि को एक लाख रुपये से घटाकर पांच हजार रुपये कर दिया है। इसके अलावा हिरासत की न्यूनतम अवधि को तीन साल से घटाकर दो साल कर दिया गया।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को असम के एक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा कोर्ट में दायर की गई उस याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से उन लोगों की रिहाई के निर्देश देने की मांग की गई है, जिन्होंने असम में विदेशी डिटेंशन सेंटर में दो साल से अधिक समय बिताया लिया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में 'विदेशी नागरिक' बताकर असम के छह डिटेंशन सेंटर में रखे गए लोगों को रिहा करने की मांग की गई। अर्जी में कहा गया है कि डिटेंशन सेंटर में रह रहे लोगों को भी कोरोना से संक्रमण का खतरा हो सकता है।