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Google Doodle: सुभद्रा कुमारी चौहान पर गूगल ने बनाया है खास डूडल, आज 117वीं जयंती

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 16, 2021 07:38 IST

Google Doodle: गूगल ने आज सुभद्रा कुमारी चौहान पर खास डूडल जारी किया है। सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज के दिन ही 1904 में उत्तर प्रदेश में हुआ था।

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ठळक मुद्दे न्यूजीलैंड में रहने वाली प्रभा मालाया ने बनाया है सुभद्रा कुमारी चौहान पर गूगल डूडल।सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को यूपी के प्रयागराज में निहालपुर गांव हुआ था।'झांसी की रानी', 'वीरों का कैसा हो वसंत' जैसी कई देशभक्ति से भरी कविताएं रहीं चर्चित

नई दिल्ली: भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के जश्न के बाद आज का दिन भी बेहद खास है। गूगल (Google Doodle) ने आज कवियत्री और स्वतंत्रता सेनानी रहीं सुभद्रा कुमारी चौहान की जिंदगी और उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए एक बेहतरीन डूडल जारी किया है। साहित्य जैसे क्षेत्र में जहां तब के दौर में पुरुषों का वर्चस्व था, सुभद्रा कुमारी चौहान ने कई ऐसी रचनाएं की जिनके लिए उन्हें याद किया जाता रहेगा।

दरअसल सुभद्रा कुमारी चौहान की आज 117वीं जयंती है। इसी मौके पर गूगल ने उन्हें अपना डूडल समर्पित किया है। इस डूडल में सुभद्र कुमारी चौहान साड़ी पहले कलम और कागज के साथ नजर आ रही है। साथ ही उनके पीछे एक ओर स्वतंत्रता आंदोलन की झलक और दूसरी ओर रानी लक्ष्मीबाई का चित्र उकेरा हुआ है।

न्यूजीलैंड की प्रभा मालया ने बनाया सुभद्रा कुमारी चौहान पर डूडल

सुभद्रा कुमारी चौहान पर समर्पित गूगल का आज का डूडल न्यूजीलैंड में रहने वाली प्रभा मालाया ने बनाया है। बता दें कि हिंदी कविताओं में सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे प्रसिद्ध कविता 'झांसी की रानी' रही है। 

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म आज ही के दिन 1904 में सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में निहालपुर गांव में हुआ था। कहते हैं कि वह घोड़े की गाड़ी से स्कूल जाते हुए भी रास्ते में लगातार लिखती रहती थीं। उनकी पहली कविता सिर्फ नौ साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी। 

सुभद्र कुमारी चौहान जब बड़ी हो रही थीं, उस समय भारतीय स्वतंत्रता का आंदोलन भी चरम पर पहुंच गया था। सुभद्रा कुमारी चौहान ने भी इसमें हिस्सा लिया और अपनी कविताओं से भी दूसरों को इस लड़ाई में भागीदार बनने के लिए प्रेरित किया। स्वतंत्रता के लिए कागज से लेकर जमीन तक उनके योगदान बेहद रहे। फिर चाहे 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता हो या फिर 'जलियांवाला बाग में वसंत' या फिर झांसी की रानी, उन्होंने अपनी कविताओं से हमेशा आजादी के दीवानों को प्रेरित किया। सुभद्राकुमारी चौहान का देहांत 15 फरवरी, 1948 को 44 साल की उम्र में ही हो गया।

टॅग्स :गूगल डूडल
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