मशहूर पंजाबी लेखिका अमृता प्रीतम के सम्मान में गूगल ने शनिवार का डूडल समर्पित किया है। आज उनका 100वां जन्मदिवस है। गूगल डूडल में उनकी आत्मकथा काला गुलाब की झलक मिलती है। माना जाता है कि यह किताब लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है कि वो अपने प्यार और शादी के बारे में खुलकर बात करें।
अमृता प्रीतम का जन्म 1919 में अविभाजित भारत में हुआ था। अपनी जवानी के दिनों में अमृता ने भारत विभाजन की त्रासदी देखी। इस घटना ने उनकी जिंदगी पर गहरा असर किया। इन्हीं पीड़ाओं का नतीजा उनकी सुप्रसिद्ध कविता 'अज्ज आंखां वारिस शाह नू' थी।
20वीं सदी में साहित्य का एक ऐसा सितारा जिसने अपनी शर्तों पर जिंदगी गुजारी। उन्होंने एक ऐसे वक्त में साहसी फैसले लिए जब समकालीन महिलाओं के लिए विरोध जताना मुश्किल था। उन्होंने अपनी जिंदगी में कविता संग्रह, कहानी, आत्मकथा और निबंध मिलाकर 100 से ज्यादा किताबें लिखी हैं।
विभाजन से ही प्रभावित होकर उन्होंने 'पिंजर' नामक उपन्यास लिखा। जिसमें विभाजन से उस वक्त की महिला पीड़ा जाहिर की गई। अमृता 20वीं सदी की जानी-मानी पंजाबी कवियित्री थी। उनकी कविताओं का कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। 31 अक्टूबर 2005 को 86 वर्ष की आयु में अमृता का निधन हो गया। उनका साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक बना हुआ है जितना सात दशक पहले था।