Google Doodle आज कर रहा है अन्ना मणि को याद, भारत की अग्रणी महिला विज्ञानियों में से एक, जानिए इनके बारे में
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 23, 2022 07:34 AM2022-08-23T07:34:09+5:302022-08-23T07:43:37+5:30
भारत की मशहूर भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी अन्ना मणि का आज 104वां जन्मदिन है। गूगल ने इस मौके पर उन्हें याद करते हुए बेहद खास डूडल तैयार किया है।
नई दिल्ली: गूगल डूडल (Google Doodle) आज 23 अगस्त को भारतीय भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी अन्ना मणि का 104वां जन्मदिन मना रहा है। अन्ना मणि भारत की पहली महिला वैज्ञानिकों में से एक हैं। उनके काम और शोध भी एक वजह रही जिसने भारत के लिए सटीक मौसम पूर्वानुमान करना संभव बनाया और देश के लिए अक्षय ऊर्जा का उपयोग करने के लिए आधार तैयार किया।
अन्ना मणि का जन्म 1918 में आज ही के दिन हुआ था। उन्होंने अपना बचपन त्रावणकोर (वर्तमान में केरल) में बिताया। अन्ना मणि को किताबें पढ़ना बहुत पसंद था। यही वजह थी कि उन्होंने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्ष किताबों में डूबे हुए ही बिताए। कहते हैं कि 12 साल की उम्र तक मणि ने अपने पास मौजूद पब्लिक लाइब्रेरी में लगभग हर किताब पढ़ ली थी। दिलचस्प ये भी है कि वह जीवन भर ऐसे ही एक उत्साही पाठक बनी रहीं।
हाई स्कूल के बाद उन्होंने महिला क्रिश्चियन कॉलेज (WCC) में अपना इंटरमीडिएट साइंस कोर्स पूरा किया और फिर मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज से भौतिकी और रसायन विज्ञान में ऑनर्स के साथ बैचलर ऑफ साइंस पूरा किया। स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद उन्होंने एक वर्ष के लिए WCC में पढ़ाने का भी काम किया और फिर भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त की।
भारतीय विज्ञान संस्थान में नोबेल पुरस्कार विजेता सर सीवी रमन के मार्गदर्शन में उन्होंने स्पेक्ट्रोस्कोपी का अध्ययन किया। इसके बाद 1942 और 1945 के बीच उन्होंने पांच पेपर प्रकाशित किए, अपनी पीएच.डी पूरी की और लंदन के इंपीरियल कॉलेज में स्नातक कार्यक्रम शुरू किया, जहां उन्होंने मौसम संबंधी उपकरण आदि में विशेषज्ञता हासिल की।
उन्होंने 1948 में भारत लौटने पर भारत मौसम विज्ञान विभाग के लिए काम करना शुरू किया, जहां उन्होंने देश को अपने स्वयं के मौसम उपकरणों के डिजाइन और निर्माण में मदद की। उस समय के इस पुरुष-प्रधान क्षेत्र में उन्होंने इतना उत्कृष्ट प्रदर्शन किया कि 1953 तक वे अपने डिविजन की प्रमुख बन गईं।
मणि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के लिए भी शुरुआती समय से बात करती रही थी। 1950 के दशक के दौरान उन्होंने सौर विकिरण निगरानी स्टेशनों का एक नेटवर्क स्थापित किया और संधारणीय ऊर्जा (sustainable energy) पर कई पत्र प्रकाशित किए।
मणि बाद में भारत मौसम विज्ञान विभाग की उप महानिदेशक बनी और संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन में कई प्रमुख पदों पर रही। 1987 में उन्हें विज्ञान में उल्लेखनीय योगदान के लिए आईएनएसए केआर रामनाथन मेडल से नवाजा गया। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें बैंगलोर में रमन अनुसंधान संस्थान के ट्रस्टी के रूप में नियुक्त किया गया था। उसने एक कंपनी की भी स्थापना की जो सौर और पवन ऊर्जा उपकरणों का निर्माण करती है। मणि का निधन 2001 में तिरुवनंतपुरम में हुआ।