लेखिका महादेवी वर्मा को आज गूगल ने डूडल बनाकर किया याद, वजह है बेहद खास
By आदित्य द्विवेदी | Published: April 27, 2018 08:21 AM2018-04-27T08:21:58+5:302018-04-27T08:21:58+5:30
Mahadevi Verma Google Doodle: महादेवी वर्मा ने हिंदी साहित्य में छायावाद की नींव रखी। उनकी रचनाएं महिला सशक्तिकरण के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
नई दिल्ली, 27 अप्रैलः सुप्रसिद्ध कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता महादेवी वर्मा को 27 अप्रैल 1982 में साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ से नवाजा गया था। हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान को याद करते हुए गूगल ने डूडल समर्पति किया है। इस डूडल को सोनाली जोहरा ने बनाया है। महादेवी वर्मा का शुमार हिंदी साहित्य में छायावाद की नींव रखने वालों में होता है। महादेवी वर्मा ने अपनी रचनाओं में महिलाओं के अनुभव और पीड़ा को मजबूती से उकेरा है।
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद के एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपना बचपना इलाहाबाद के करीब ही गुजारा। उनके पिता प्रोफेसर थे। अपनी मां की प्रेरणा से महादेवी वर्मा ने लिखना शुरू किया। महादेवी वर्मा जब महज 9 साल की थी तभी उनका विवाह कर दिया गया लेकिन उन्होंने अपने माता-पिता के साथ ही रहने का फैसला किया।
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महिलाओं पर किए गया उनका काम उल्लेखनीय है। उन्होंने कविता, कहानी, संस्मरण और लेखों के जरिए महिलाओं के अनुभव को साझा किए। 'यामा' में उनके प्रथम चार काव्य-संग्रहों की कविताओं का एक साथ संकलन हुआ है जिसे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
'स्मृति की रेखाएं' (1943 ई.) और 'अतीत के चलचित्र' (1941 ई.) उनकी संस्मरणात्मक गद्य रचनाओं के संग्रह हैं। 'शृंखला की कड़ियाँ' (1942 ई.) में सामाजिक समस्याओं, विशेषकर अभिशप्त नारी जीवन के जलते प्रश्नों के सम्बन्ध में लिखे उनके विचारात्मक निबन्ध संकलित हैं। रचनात्मक गद्य के अतिरिक्त 'महादेवी का विवेचनात्मक गद्य' में तथा 'दीपशिखा', 'यामा' और 'आधुनिक कवि-महादेवी' की भूमिकाओं में उनकी आलोचनात्मक प्रतिभा का भी पूर्ण प्रस्फुटन हुआ है।