गिरिराज सिंह बेगुसराय क्यों नहीं जाना चाहते हैं?

By विकास कुमार | Published: March 25, 2019 02:21 PM2019-03-25T14:21:20+5:302019-03-25T14:21:20+5:30

गिरिराज सिंह फिलहाल मोदी सरकार में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के राज्य मंत्री हैं. 2014 में गिरिराज सिंह नवादा सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे.

Giriraj Singh doesn't want to contest election from begusarai | गिरिराज सिंह बेगुसराय क्यों नहीं जाना चाहते हैं?

गिरिराज सिंह बेगुसराय क्यों नहीं जाना चाहते हैं?

Highlightsगिरिराज सिंह ने बिहार प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय और बिहार के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव को अपनी पोस्टिंग के लिए जिम्मेवार ठहराया है. 2014 में गिरिराज सिंह नवादा सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे.बेगुसराय को वामपंथ का गढ़ भूमिहारों ने ही बनाया.

गिरिराज सिंह भारतीय जनता पार्टी के बिहार में सबसे चर्चित चेहरा रहे हैं. विरोधी नेताओं के ऊपर अपने शब्दों के ब्रह्मास्त्र चलाने के लिए मशहूर गिरिराज सिंह आज कल पार्टी नेतृत्व से कुछ ज़्यादा ही नाराज चल रहे हैं. नवादा से बेगुसराय ट्रांसफर करने का गम और गुस्सा ठहर-ठहर के मीडिया के सामने आ रहा है.

गिरिराज सिंह ने बिहार प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय और बिहार के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव को अपनी पोस्टिंग के लिए जिम्मेवार ठहराया है. 

गिरिराज सिंह की नाराजगी का एक अक्स लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी उम्मीदवारों की जारी लिस्ट में भी दिख रही है. पार्टी के तमाम बड़े नेता सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जिसके कारण बीजेपी नेताओं का चुनावी डर खुल कर सामने आ रहा है.

गिरिराज सिंह की पोस्टिंग एक ऐसे सीट पर की गई है जो पूरे बिहार में इस बार चर्चित रहने वाला है. कठिन त्रिकोणीय मुकाबले  की बनती स्थिति के कारण गिरिराज सिंह का गुस्सा पार्टी के प्रति झलक रहा है. 

वामपंथ और भूमिहार 

बेगुसराय की पहचान ऐसे तो वामपंथ और भूमिहार बहुल इलाके के रूप में होती है लेकिन इस बार सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार के आने से इस सीट पर राष्ट्रवाद का उफान भी देखने को मिलेगा. क्योंकि कन्हैया के ऊपर दिल्ली पुलिस ने देशद्रोह के मामले में केस दर्ज किया है. जेएनयू में लगे कथित रूप से भारत विरोधी नारे में कन्हैया कुमार का नाम सामने आया था. 

महागठबंधन ने इस सीट पर तनवीर हसन को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है. बेगुसराय सीट पर 2014 में बीजेपी के दिवगंत नेता भोला सिंह चुनाव लड़े थे. इस सीट पर उन्हें 58 हजार वोटों से जीत मिली थी. आरजेडी के तनवीर हसन को 3 लाख 70 हजार वोट मिले थे. जिसके कारण लालू यादव ने इस बार भी उन्हें ही इस सीट पर लड़ाने का फैसला किया है.

बेगुसराय में मुस्लिम वोटरों की संख्या 2.5 लाख और यादव वोटरों की संख्या 1.5 लाख मानी जाती है. लालू के 'माय' समीकरण की संजीवनी आज भी इस सीट पर उन्हें बराबर की लड़ाई में खड़ा करती है. 

पिछले 9 लोकसभा चुनाव में अगर 2009 को छोड़ दिया जाए तो इस सीट का संसद में 8 बार नेतृत्व भूमिहार जाति के नेताओं ने ही की है. गिरिराज सिंह भूमिहार हैं और कन्हैया कुमार भी इसी जाति से आते हैं. बेगुसराय को वामपंथ का गढ़ भूमिहारों ने ही बनाया.

वामपंथ और सीपीआई की ऐतिहासिक मौजूदगी के कारण ऐसा माना जा रहा है कि भूमिहार वोट कन्हैया कुमार और गिरिराज सिंह के बीच में बंटेगा और इसका सीधा फायदा आरजेडी को मिलेगा. बेगुसराय में भूमिहार वोट 4 लाख 75 हजार है. गिरिराज सिंह की परेशानी का एक कारण यह भी है. 

गिरिराज सिंह फिलहाल मोदी सरकार में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के राज्य मंत्री हैं. 2014 में गिरिराज सिंह नवादा सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे. गिरिराज सिंह का मानना है कि उन्होंने पिछले 5 साल में नवादा के लिए काम किया है और ऐसे में उन्हें इसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए था. 

Web Title: Giriraj Singh doesn't want to contest election from begusarai