भारत के रूस से सस्ती दरों पर तेल खरीदने पर बोले जर्मन राजदूत- 'अगर आपको ये कम कीमत में मिले तो...', देखें वीडियो
By मनाली रस्तोगी | Published: February 22, 2023 06:41 PM2023-02-22T18:41:11+5:302023-02-22T18:42:31+5:30
जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि अगर भारत रूस से तेल खरीद रहा है, इससे हमें कोई मतलब नहीं है।
नई दिल्ली: भारत रूस से सस्ती दरों पर कच्चा तेल खरीदने को लेकर लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल, पिछले साल 24 फरवरी को शुरू हुए रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच भारत का रूस से कम दामों में तेल खरीदने को लेकर काफी देशों में विरोधाभास था। इस बीच जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने एएनआई से बात करते हुए कहा, "अगर भारत रूस से तेल खरीद रहा है, इससे हमें कोई मतलब नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा, "अगर आपको यह कम कीमत में मिल जाए तो मैं इसके लिए भारत को दोष नहीं दे सकता। समाधान (रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए) के साथ आने के लिए भारत एक उपयुक्त उम्मीदवार है। भारत के पास कुशल और अच्छी कूटनीति है।" उनका बयान जर्मन चांसलर ओल्फ शोल्ज की द्विपक्षीय यात्रा से पहले आया है, जो शनिवार को भारत आने वाले हैं।
यह उनके वर्तमान कार्यकाल के दौरान भारत का उनका पहला दौरा होगा और वह नई दिल्ली और बेंगलुरु का दौरा करेंगे। एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मन राजदूत ने कहा कि शोल्ज के साथ उनकी भारत यात्रा के दौरान एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी होगा।
#WATCH | India buying oil from Russia is none of our business. If you get it at a low price, I can't blame India for it. India is an appropriate candidate to come up with a solution (to stop Russia- Ukraine war). India has skilled & good diplomacy: German Ambassador to India pic.twitter.com/0KuHHBZnII
— ANI (@ANI) February 22, 2023
उन्होंने कहा कि एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भारत में जर्मन व्यापार को महत्वपूर्ण तरीके से बढ़ावा देगा और जर्मन व्यवसाय दोनों देशों के बीच एफटीए करने में रुचि रखते हैं। एकरमैन ने कहा, "दिल्ली में अपनी बैठक के दौरान जर्मन चांसलर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करने की उम्मीद है। कुशल श्रम प्रवासन भी चर्चा के मुख्य एजेंडे में से एक है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम जर्मन चांसलर शोल्ज़ और पीएम मोदी के बीच बैठक के दौरान रूस और यूक्रेन को एजेंडे में बहुत ऊपर देखते हैं। हाल ही में हमने अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन को यूक्रेन में देखा है। इंडो-पैसिफिक उनके मीटिंग एजेंडे में भी होगा।"