सवर्ण आरक्षणः संविधान संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती, सरकार की बढ़ सकती मुश्किलें
By रामदीप मिश्रा | Published: January 10, 2019 03:24 PM2019-01-10T15:24:44+5:302019-01-10T15:24:44+5:30
राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद बीते दिन बुधवार को संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया गया था।
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार (9 जनवरी) को राज्य सभा से भी मंजूरी मिल गई। लेकिन, इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें 124वें संविधान संशोधन बिल को चुनौती दी गई है।
यूथ फॉर इक्वेलिटी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण का उल्लंघन करता है। साथ ही साथ कहा गया है कि संविधान में पेश किए जा रहे चार प्रावधानों में से प्रत्येक एक दूसरे मूलभूत विशेषता का उल्लंघन करते हैं और इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
आपको बता दें, राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद बीते दिन बुधवार को संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया गया था।
लोकसभा ने इस विधेयक को मंगलवार (8 जनवरी) ही मंजूरी दी थी, जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था। विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के द्रमुक सदस्य कनिमोई सहित कुछ विपक्षी दलों के प्रस्ताव को सदन ने 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया था।
उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाये जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जतायी। हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है।