जेमिनी सर्कस के मालिक जेमिनी शंकरन का 99 साल की उम्र में निधन,सात दशकों तक दुनिया में बिखेरी हंसी
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: April 24, 2023 12:54 PM2023-04-24T12:54:37+5:302023-04-24T13:02:24+5:30
भारत के सर्कस किंग कहे जाने वाले जेमिनी सर्कस के संस्थापक जेमिनी शंकरन का 99 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया है।
तिरुवनंतपुरम: विश्व प्रसिद्ध जेमिनी सर्कस के संस्थापक जेमिनी शंकरन का 99 वर्ष की अवस्था में केरल के कुन्नूर में निधन हो गया है। शंकरन के परिवार ने उनके दिवंगत होने की जानकारी साझा करते हुए कहा कि वो लंबे समय से उम्र की जटिलताओं से पैदा हुई बीमरियों से जूझ रहे थे। परिवार के अनुसार शंकरन की तबियत पिछले कुछ दिनों से ज्यादा खराब थी। इस कारण उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार की रात उनका निधन हो गया।
भारत के सर्कस किंग कहे जाने वाले जेमिनी शंकरन के निधन पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, "न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय सर्कस को लोकप्रिय बनाने में जेमिनी शंकरन ने जिस प्रकार का योगदान दिया, उसे आने वाली सदियों में भी नहीं भुलाया जा सकता है। आजादी के बाद शंकरन ने जिस तरह से पूरे देश में घूम-घूमकर सर्कस को लोकप्रिय मनोरंज का माध्यम बनाया, वो अपने आप में अनूठा है और उसके लिए शंकरन की जितनी भी सराहना होगी, वो कम ही रहेगी।"
मुख्यमंत्री विजयन ने शंकरन के साथ अपने बेहद घनिष्ठ संबंधों का हवाला देते हुए कहा, "शंकरन ने हर समय मेरे द्वारा केरल की कला और संस्कृति के संबंध में मांगे सलाह को अपने अनुभवों से हमेशा समृद्ध किया। उन्होंने भारतीय सर्कस के आधुनिकीकरण में एक प्रमुख भूमिका निभाई और जेमिनी सर्कस में विदेशी कलाकारों और करतबों को शामिल करके उसे ग्लोबल बनाया।"
इसके साथ ही मुख्यमंत्री विजयन ने अपने शोकसंदेश के अंत में कहा कि जेमिनी शंकरन का निधन देश में खत्म हो रही सर्कस कला के लिए बड़ी भारी क्षति है।
जेमिनी शंकरन का जन्म 1924 में केरल के कुन्नूर हुआ था। शंकरन देश की आजादी से पूर्व ब्रिटिश सेना में शामिल हो गए और द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हो गए। आजादी से पूर्व शंकरन ने विश्व प्रसिद्ध सर्कस कलाकार कीलेरी कुन्हिकन्नन से तीन साल तक गहरा प्रशिक्षण लिया और उसके बाद देश के विभिन्न सर्कस समूहों में काम किया।
उन्होंने 1951 में विजया सर्कस कंपनी खरीदी और इसका नाम बदलकर जेमिनी सर्कस कर दिया। जब जेमिनी सर्कस सफलता की बुलंदियों पर था तो शंकरन ने एक दूसरी सर्कस कंपनी जंबो को खरीद लिया। शंकरन ने जेमिनी सर्कस और जम्बो सर्कस का विलय करके बड़े पैमाने पर पूरे देश में सर्कस दिखाने की परंपरा शुरू की और सर्कस को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया।
जेमिनी शंकरन द्वारा सर्कस में दिये उनके योगदान को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया था। शंकरन के परिवार में दो बेटे और एक बेटी है। निधन के बाद शंकरन के परिवार ने बताया कि जनता को श्रद्धांजलि देने के लिए शंकरन का पार्थिव शरीर उनके आवास पर रखा जाएगा और अंतिम संस्कार मंगलवार को पय्याम्बलम समुद्र तट पर किया जाएगा।