गुवाहाटी हाईकोर्ट ने फिर दोहराया, नागरिकता साबित करने के लिए Voter ID Card नहीं हो सकता अंतिम प्रमाण

By रामदीप मिश्रा | Published: February 18, 2020 05:36 PM2020-02-18T17:36:16+5:302020-02-18T17:36:16+5:30

असम हाईकोर्टः न्यायमूर्ति मनोजीत भुयन और न्यायमूर्ति पार्थिवज्योति साइका की खंडपीठ ने एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत के पहले के फैसले को दोहराया है, जिसमें मुनींद्र विश्वास द्वारा दायर असम के तिकुकिया जिले में एक विदेशी ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी गई थी।

Gauhati High Court says Voter ID Not Conclusive Proof of Citizenship | गुवाहाटी हाईकोर्ट ने फिर दोहराया, नागरिकता साबित करने के लिए Voter ID Card नहीं हो सकता अंतिम प्रमाण

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Highlightsगुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि एक चुनावी फोटो पहचान पत्र भारतीय नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं है। नागरिकता को सबूतों से साबित किया जाना चाहिए।

जहां एक ओर देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। वहीं,  गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि एक चुनावी फोटो पहचान पत्र भारतीय नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं है। नागरिकता को सबूतों से साबित किया जाना चाहिए। साथ ही साथ अदालत ने यह भी कहा कि भूमि राजस्व प्राप्तियां, एक पैन कार्ड और बैंक दस्तावेजों का उपयोग नागरिकता साबित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।

समाचार वेबसाइट न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति मनोजीत भुयन और न्यायमूर्ति पार्थिवज्योति साइका की खंडपीठ ने एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत के पहले के फैसले को दोहराया है, जिसमें मुनींद्र विश्वास द्वारा दायर असम के तिकुकिया जिले में एक विदेशी ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी गई थी।

मो. बाबुल इस्लाम बनाम असम राज्य (संख्या 3547) में, अदालत ने फैसला दिया था कि 'चुनावी फोटो पहचान पत्र नागरिकता का प्रमाण नहीं है'। जुलाई 2019 में ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए गए बिस्वास ने अदालत को बताया कि उनके दादा दुर्गा चरण विश्वास पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के थे और उनके पिता इंद्र मोहन विश्वास 1965 में असम के तिनसुकिया जिले में चले गए थे। 

याचिकाकर्ता ने कहा कि वह असम में पैदा हुआ था, तिनसुकिया जिले के मार्गेरिटा शहर का निवासी है और उसने 1997 की मतदाता सूची में अपने नाम का प्रमाण प्रस्तुत किया। उन्होंने 1970 से जमीन के दस्तावेज भी संलग्न किए थे। हालांकि, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता 1997 से पहले की मतदाता सूची प्रस्तुत करने में विफल रहा। यह साबित नहीं हो सका है कि उसके माता-पिता 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश कर चुके थे और वह 24 मार्च, 1971 से पहले राज्य में रह रहे थे।

Web Title: Gauhati High Court says Voter ID Not Conclusive Proof of Citizenship

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