एफएसएसएआई मसौदा पैकेजिंग नियमन को तीन महीने में अंतिम रूप दे : एनजीटी
By भाषा | Published: January 13, 2021 04:16 PM2021-01-13T16:16:50+5:302021-01-13T16:16:50+5:30
नयी दिल्ली, 13 जनवरी राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को तीन महीने के भीतर खाद्य सुरक्षा एवं मानक (पैकेजिंग) संशोधन नियमन के मसौदे को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि कार्बोनेटीकृत शीतल पेय, शराब और अन्य सामान के लिए प्लास्टिक की बोतलों और कई परत वाले प्लास्टिक पैकेटों के इस्तेमाल के संबंध में संबंधित प्राधिकारों को आगे विचार करना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘एफएसएसएआई तीन महीने के भीतर मसौदा नियमन को अंतिम रूप देने का काम करे ताकि इसे लागू किया जा सके और प्रभावी निगरानी तंत्र की व्यवस्था हो।’’
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) गैर सरकारी संगठन हिम जागृति उत्तरांचल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने प्लास्टिक की बोतलों और विभिन्न परत वाले प्लास्टिक के डिब्बों-बोतलों के इस्तेमाल पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
याचिका में कहा गया कि पॉलीथिन टेराफ्टालेट (पीईटी) बोतलों और कई परत वाले डिब्बे जैसे कि टेट्रा पैक की वजह से स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ता है और इससे प्लास्टिक अपशिष्ट में भी बढ़ोतरी होती है।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने एनजीटी को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों के इस्तेमाल वाली दवाओं, गर्भवती महिलाओं और प्रजनन उम्र वाली महिलाओं की दवाओं को रखने के लिए पॉलीथिन टेराफ्टालेट या प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी को लेकर मसौदा नियम प्रकाशित किया है।
प्लास्टिक की बोतलों और दवाओं की पैकेजिंग के मानक के संबंध में सभी बोतलों और डिब्बों के लिए ‘फार्माकोपिया’ तथा अन्य मानदंडों का पालन करना होता है।
अधिकरण ने कहा कि ‘फार्माकोपिया’ में संशोधन के मद्देनजर प्लास्टिक पैकेजिंग के प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव को एक हद तक नियंत्रित किया गया है। इसलिए कोई आदेश जारी नहीं किया जाता है। इसने कहा कि हालांकि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय में उपयुक्त स्तर पर नियमन के पालन की निगरानी की जाए।
भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली स्वायत्त संस्था है जो देश में दवाओं से संबंधित मानक निर्धारित करने का दायित्व देखती है।
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