फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड बैंक घोटाला: मोदी सरकार आई सवालों के घेरे में, कांग्रेस ने साधा निशाना
By शीलेष शर्मा | Published: January 23, 2020 02:47 AM2020-01-23T02:47:08+5:302020-01-23T02:47:08+5:30
यह भी हैरान करने वाली बात है कि बैंक में सरकार द्वारा नामित एक निदेशक भी शामिल है। कांग्रेस ने पूछा कि क्या कारण है कि 18 जनवरी 2019 को एलओसी जारी होने के बाद 19 जनवरी 2020 तक सरकार की जांच एजेंसियों ने कोई मामला क्यों नहीं दर्ज किया. उन लोगों के खिलाफ जो इस घोटाले से जुड़े थे या फिर जिन पर शक था.
मोदी सरकार में बैंक घोटालों की रफ्तार कम होती नजर नहीं आ रही है. नीरव मोदी, मेहुल चौकसी के बाद अब फ्रॉस्ट इंटरनेशनल लिमिटेड का बैंक घोटाला सामने आया है. जिसने 3592 करोड़ का घोटाला कर बैंक ऑफ इंडिया की रकम को दूसरी जगह ठिकाने लगा दिया.
19 जनवरी 2020 को बैंक ऑफ इंडिया ने एक एफआईआर दर्ज कराई कि जनवरी 2018 से जो रकम बैंक से ली गयी उसकी वापसी नहीं हो रही है. कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए पूछा कि जब बैंक घोटाला 2018 में हुआ तो उसकी एफआईआर जनवरी 2020 में दो साल बाद दर्ज क्यों हुई.
दिलचस्प पहलू तो यह है कि बैंक द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के अलावा बैंक ने दस जनवरी 2019 को गृह मंत्रालय से गुहार लगाई कि वह कंपनी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करे लेकिन गृह मंत्रालय ने आठ दिन तक बैंक की इस गुहार पर कुंडली मारे रखी और 18 जनवरी 2019 को लुकआउट सर्कुलर जारी किया.
यह भी हैरान करने वाली बात है कि बैंक में सरकार द्वारा नामित एक निदेशक भी शामिल है। कांग्रेस ने पूछा कि क्या कारण है कि 18 जनवरी 2019 को एलओसी जारी होने के बाद 19 जनवरी 2020 तक सरकार की जांच एजेंसियों ने कोई मामला क्यों नहीं दर्ज किया. उन लोगों के खिलाफ जो इस घोटाले से जुड़े थे या फिर जिन पर शक था. अन्य बैंकों ने 15 जून 2019 को शिकायत दर्ज की लेकिन बैंक ऑफ इंडिया ने छह महीने बाद ही उसकी सुध ली.
कांग्रेस ने बैंकों का पूरा ब्यौरा जारी करते हुए बताया कि 2014-15 से 2020 तक 32868 बैंक घोटाले हुए है जो लगभग 270513.49 करोड़ के हैं और सरकार ने 429121 करोड़ की रकम माफ की है. कांग्रेस के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने इन तथ्यों का खुलासा करते हुए मांग की कि इस पूरे मामले की गहराई से जांच हो और सरकार तथ्यों का खुलासा करे कि आखिर वह इतने दिन तक घोटाले होने के बावजूद सोती क्यों रही.