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बलिया में चार अनाथ भाई-बहनों को प्रशासन की पहल के बाद मिला सहारा

By भाषा | Updated: May 30, 2021 12:29 IST

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बलिया (उप्र) 30 मई बलिया जिले के एक गांव में पहले कैंसर पीड़ित पिता और फ‍िर कोरोना संक्रमण से मां की मौत से अनाथ हो गये चार भाई-बहनों को जिला प्रशासन की पहल के बाद एक सामाजिक संस्था ने सहारा दिया है।

माता-पिता की मौत से अनाथ हुए चार बच्चों में एक भाई और एक बहन को वाराणसी की एक सामाजिक संस्था ने गोद ले लिया है। यह संस्था दोनों भाई-बहन की उच्च शिक्षा और नौकरी लगने तक सभी खर्च उठाएगी और इसके साथ ही घर पर रह रही दो बहनों और उसकी दादी को जीवन यापन के लिए आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी।

बाल कल्याण समिति के सदस्य राजू सिंह ने रविवार को पत्रकारों को बताया कि चाइल्ड लाइन ने समिति की न्यायपीठ के समक्ष शनिवार को दो बच्चों रेनू व अंकुश को प्रस्तुत किया। समिति की न्यायपीठ के अध्यक्ष प्रशांत पांडेय व सदस्यों ने एसओएस, बालग्राम, वाराणसी के निदेशक को दोनों बच्चों को सुपुर्द किया तथा निर्देश दिया कि रेनू (नौ) और अंकुश (सात) को 18 वर्ष की उम्र होने तक संरक्षण प्रदान करें तथा बच्चों से संबंधित रिपोर्ट प्रत्येक तीन माह पर उपलब्ध कराते रहें।

जिला प्रोबेशन अधिकारी समर बहादुर सरोज ने दोनों बच्चों को कपड़े, जूते, दैनिक उपयोग की सामग्री, सूखा फल, बिस्कुट व नमकीन उपलब्ध कराया। सरोज ने बताया कि संस्था अपनी एक योजना के तहत दो अन्य बच्चों काजल (15) और रूबी (13) व उनकी दादी को आर्थिक सहायता उपलब्ध करायेगी।

उन्होंने बताया कि महिला कल्याण विभाग की योजना के तहत काजल और रूबी को प्रत्येक माह दो-दो हजार रुपये मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि बलिया जिले के बैरिया तहसील क्षेत्र के दलन छपरा ग्राम पंचायत में पिछली 10 मई को कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूनम देवी की मौत हो गई। इसके करीब तीन वर्ष पहले पूनम के पति संतोष पासवान की कैंसर से मौत हो गई थी। पूनम की मौत के बाद उसकी बेटियां काजल, रूबी, रेनू और बेटा अंकुश अनाथ हो गए। भाई-बहनों की परवरिश की जिम्मेदारी इनकी दादी फुलेश्वरी देवी पर आ गई। फुलेश्वरी देवी ने कहा था कि वह अपने विधवा पेंशन के सहारे अपने पोते-पोती की परवरिश करेंगी जबकि सात वर्षीय अंकुश ने कहा था कि वह मजदूरी कर शिक्षा ग्रहण करेगा और पुलिस अधिकारी बनकर अपनी बहनों की शादी करेगा।

मीडिया के जरिये इन बच्चों की पीड़ा सामने आने के बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और जिलाधिकारी अदिति सिंह ने इस परिवार की परवरिश का भरोसा दिलाया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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