स्टालिन की बेटी के भारत से अमेरिकी वीजा पर जाने की कहानी अमेरिका के पूर्व राजदूत ने साझा की

By भाषा | Updated: February 28, 2021 20:29 IST2021-02-28T20:29:03+5:302021-02-28T20:29:03+5:30

Former US ambassador shared the story of Stalin's daughter going on a US visa from India | स्टालिन की बेटी के भारत से अमेरिकी वीजा पर जाने की कहानी अमेरिका के पूर्व राजदूत ने साझा की

स्टालिन की बेटी के भारत से अमेरिकी वीजा पर जाने की कहानी अमेरिका के पूर्व राजदूत ने साझा की

(जाफरी मुदस्सर नोफिल)

नयी दिल्ली, 28 फरवरी अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड सिलेस्टे ने अपने संस्मरण में अमेरिकी वीजा पर जोसेफ स्टालिन की बेटी स्वेतलाना के भारत से जाने सहित कई रोचक घटनाओं का उल्लेख किया है।

सिलेस्टे, वर्ष 1997 से 2001 तक अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में भारत में अमेरिकी राजदूत थे। हालांकि, भारत वह पहली बार 1960 के दशक में तत्कालीन राजदूत चेस्टर बाउल्स के सहायक के तौर पर आए थे।

अपने संस्मरण ‘‘लाइफ इन अमेरिकन पॉलिटिक्स ऐंड डिप्लोमेटिक इयर्स इन इंडिया: एन अवार्निश अकाउंट’’ में सिलेस्टे ने लिखा है, ‘‘ मार्च 1967 की एक रात उन्हें अचानक अमेरिकी दूतावास बुलाया गया, वहां पहुंचने पर पता चला कि स्वेतलाना अलिलुयेवा नाम की महिला कुछ सूटकेस के साथ मौजूद हैं और स्वयं को स्टालिन की बेटी बता रही है और रूसी पासपोर्ट दिखा शरण मांग रही हैं।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘....सोवियत संघ खुफिया विभाग में नियमित रूप से युवा अमेरिकियों को भर्ती करने की कोशिश की जा रही थी। मुझे लगा था कि यह अमेरिका को फंसाने की एक और चाल हो सकती है।’’

सिलेस्टे ने लिखा, ‘‘उस महिला की कहानी पर विश्वास करना मुश्किल था क्योंकि न केवल वह स्वयं को स्टालिन की बेटी बता रही थी, बल्कि एक भारतीय की पत्नी होने का दावा कर रही थी, जो मॉस्को के विदेशी भाषा प्रेस में कार्यरत था।’’

उन्होंने लिखा है, ‘‘महिला ने बताया कि उसके पति की पिछले नवंबर मौत हो गई थी। उसने पति से उसकी अस्थियों को मॉस्को से लाकर गंगा में प्रवाहित करने का वादा किया था। छह महीने बीत गए। वह अस्थियों का विसर्जन कर भारत में रूक गई। वह अब शरण चाहती है।’’

सिलेस्टे के मुताबिक सभी इस बात से चिंतित थे कि किसी भी पल वह रोना शुरू कर दुष्कर्म का आरोप लगा सकती है, या सोवियत दूतावास उसका अपहरण करने का आरोप लगा सकता हैं, हमें उसे पेश करने का आदेश दिया जा सकता है और वह सोवियत संघ के आरोपों की पुष्टि कर सकती है।

पुस्तक के मुताबिक स्वेतलाना ने अमेरिकी अधिकारियों को बताया कि वह सप्ताहांत (पांच मार्च 1967) दिल्ली को आई थी और उसे रूसी दूतावास परिसर में बने अपार्टमेंट में ले जाया गया था। रूसी उम्मीद कर रहे थे कि वह बृहस्पतिवार की सुबह एयरोफ्लोट की उड़ान से मॉस्को लौट जाएगी।

उन्होंने लिखा है कि महिला से बातचीत करने के बाद राजदूत कार्यालय के समक्ष तीन विकल्प थे, पहला भारत सरकार को सूचित किया जाए और औपचारिक रूप से उन्हें वापस भेजने का अनुरोध किया जाए, उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया जाए, या अमेरिका जाने का वीजा दे दिया जाए और केवल आधे रास्ते के लिए टिकट खरीदा जाए।

सिलेस्टे ने लिखा , ‘‘उन्हें वीजा देने का फैसला करने के साथ ही उनहें स्वयं विमान में सवार होने की अनुमति दी गई।’’

उन्होंने लिखा है कि रात साढ़े आठ बजे वाशिंगटन यह संदेश भेजा गया, ‘‘ एक महिला खुद को स्टालिन की बेटी बता रही है और शाम सात बजकर 10 मिनट पर दूतावास आई और शरण मांग रही है। उसकी पहचान नहीं हो पा रही है। यह उकसाने की कार्रवाई होने की आशंका है। ’’

हालांकि, स्वेतलाना रोम पहुंची, जहां से बाद में वह जिनेवा गई।

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