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पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव राजद के टिकट पर जाएंगे राज्यसभा! पूर्व जदयू अध्यक्ष को तेजस्वी ने दिया आश्वासन

By एस पी सिन्हा | Updated: March 20, 2022 18:30 IST

​​​​​​जुलाई में बिहार में राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो रही हैं, जिसमें दो सीटें भाजपा, एक सीट जदयू और दो सीटें राजद के पास जाएंगी.

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ठळक मुद्देलोकतांत्रिक जनता दल का विलय राजद में कर दिया है. लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों के साथ रहे हैं.नीतीश कुमार से राजनीतिक रिश्ते खराब होने के बाद शरद यादव अलग-थलग पड़ गए थे.

पटनाः पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद यादव पर छाये संकटों के बादल अब छंटते दिखने लगे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से नाता तोड़ने के बाद अलग-थलग पडे़ शरद यादव को अब लालू यादव की पार्टी राजद का सहारा मिल गया है. आज उन्होंने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का विलय राजद में कर दिया है.

इसके बदले लालू यादव उन्हें राज्यसभा भेज सकते हैं. बताया जाता है कि इस साल जुलाई में बिहार में राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो रही हैं, जिसमें दो सीटें भाजपा, एक सीट जदयू और दो सीटें राजद के पास जाएंगी. सूत्रों की मानें तो तेजस्वी यादव ने शरद यादव को राज्यसभा भेजने का आश्वासन भी दिया है. शरद यादव उन नेताओं में रहे हैं जो लालू प्रसाद और नीतीश कुमार दोनों के साथ रहे हैं.

लेकिन नीतीश कुमार से राजनीतिक रिश्ते खराब होने के बाद शरद यादव अलग-थलग पड़ गए थे. फिर उन्हें सरकारी बांग्ला खाली करने का आदेश मिल गया था. ऐसे में उन्हें रहने के लिए एक ठौर-ठिकाने की तलाश थी, जो अब पूरा होता दिखने लगा है.

शरद यादव अभी अपने दिल्ली स्थित सात तुगलक रोड आवास पर रहते हैं. ऐसे में अगर राजद उन्हें राज्यसभा भेज देती है तो वह आवास शायद उनके रहने का ठिकाना बना रह सकता है. वहीं, शरद यादव ने कहा है कि देश भर में जो हालात है उसे देखते हुए विपक्ष को एकजुट होने की जरूरत है.

उन्होंने तय किया है कि वे लालू प्रसाद यादव की धारा को मजबूत करेंगे और इसके लिए अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राजद में विलय कर दिया है. शरद यादव ने कहा है कि पूरे देश और आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है. उन्होंने कहा कि देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए बिखरे हुए जनता परिवार को एक साथ लाने के मेरे नियमित प्रयासों की पहल के रूप में यह कदम जरूरी हो गया है. उल्लेखनीय है कि 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़ा और एनडीए के साथ फिर से गए तो शरद यादव ने उनका साथ देने से इंकार कर दिया था.

जदयू से अलग होकर शरद यादव ने 2018 में अपनी पार्टी का गठन किया था. इसके बाद जदयू ने शरद यादव की राज्यसभा की सदस्यता समाप्त करा दी थी, लेकिन शरद यादव ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे दी थी. कोर्ट ने शरद यादव से कहा कि जब तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक वे दिल्ली के 7 तुगलक रोड स्थित सरकारी बंगला में रह सकते हैं.

अब शरद यादव का कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होने वाला है. दिल्ली का 7 तुगलक रोड पर स्थित सरकारी बंगला केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी के प्रमुख पशुपति कुमार पारस को आवंटित भी किया जा चुका है. अब अगर राजद उन्हें राज्यसभा भेज देती है तो शरद यादव को एक नया बंगला भी मिल जायेगा और उनकी राजनीति भी बची रहेगी.

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