योगी सरकार के पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी पर लगा घूस लेने का आरोप!, जानें क्या है पूरा मामला
By राजेंद्र कुमार | Published: February 16, 2023 08:05 PM2023-02-16T20:05:54+5:302023-02-16T20:09:23+5:30
चार्जशीट भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश एडीजे रमाकांत प्रसाद की कोर्ट में दाखिल हो गई है. एसटीएफ धर्म सिंह सैनी से पूछताछ करेगी.
लखनऊः योगी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान आयुष कॉलेज की मान्यता देने में भ्रष्टाचार हुआ था. बिना नीट परीक्षा पास हुए छात्रों का भी एडमिशन के आयुष कॉलेजों में हुआ था और आयुष कॉलेज को मान्यता देने के लिए पूर्व आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने घूस ली थी.
यह खुलासा एसटीएफ द्वारा आयुष कॉलेजों में बिना नीट परीक्षा के हुए एडमिशन के मामले में दाखिल की गई चार्जशीट में किया गया है. यह चार्जशीट भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश एडीजे रमाकांत प्रसाद की कोर्ट में दाखिल हो गई है. अब जल्दी ही एसटीएफ धर्म सिंह सैनी से पूछताछ करेगी. इस दौरान उन्हे गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
एसटीएफ के इस खुलासे के बाद धर्म सिंह सैनी का भारतीय जनता पार्टी में वापस लौटने का रास्ता भी अब बंद हो गया है. एसटीएफ के अधिकारियों के प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते वर्ष केंद्र सरकार ने यूपी के आयुष कॉलेजों में बिना नीट परीक्षा पास हुए छात्रों को एडमिशन दिए जाने को लेकर पूछताछ की थी.
तब प्रदेश सरकार को आयुष कॉलेजों में हुए भ्रष्टाचार की भनक लगी और एसटीएफ को इस मामले की जांच का दायित्व सौंपा गया. एसटीएफ की पड़ताल के दौरान प्रोफेसर एस एन सिंह (पूर्व निदेशक आयुष) और डॉ. उमाकांत यादव ने बताया कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी एक आदेश की कड़ी में डॉ. अनवर सईद और डॉ. अकरम निदेशालय में डॉ. उमाकांत से मिले थे.
अकरम और सईद ने उमाकांत से कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जल्द से जल्द अनुपालन करवा दें तो यूजी की मान्यता के लिए एक करोड़ 10 लाख रुपये और पीजी के लिए 50 लाख रुपये दे देंगे. इस पर एसएन सिंह और उमाकांत ने उन दोनों को आश्वस्त किया कि काम हो जाएगा मंत्री जी से मुलाकात करवा देते हैं.
दोनों ने तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैनी के पर्सनल सेक्रेटरी राजकुमार दिवाकर से बात कर मुलाकात का समय ले लिया. दिवाकर ने सईद और अकरम की तत्कालीन मंत्री से मुलाकात करवाई. वहां से काम होने का आश्वासन मिलने के बाद सईद और अकरम ने अलग-अलग तारीखों में यूजी के लिए एक करोड़ 10 लाख रुपये एसएन सिंह व उमाकांत को दिए.
फिर पीजी वाली फाइल के लिए भी 50 लाख रुपये दिए. एसटीएफ के अनुसार तत्कालीन मंत्री धर्म सिंह सैनी, प्रोफेसर एसएन सिंह, उमाकांत यादव आदि ने फाइल पास कराने की प्रक्रिया में घूस ली जिसे आपस में बांटा गया. एसटीएफ ने राजकुमार दिवाकर का मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराया है.
राजकुमार दिवाकर ने 161 के तहत दिए गए बयान को ही 164 में भी दोहराया है. उसने अपने बयानों में पूर्व मंत्री द्वारा रिश्वत लिए जाने की पुष्टि की है. राजकुमार का बयान धर्म सिंह सैनी की मुश्किलें बढ़ाएगा. एसटीएफ अब उन्हे जल्दी ही पूछताछ के लिए बुलाएगी. एसटीएफ ने उन्हे पहले भी इस मामले में पूछताछ के लिए 91 सीआरपीसी की नोटिस भेजकर बुलाया था.
परंतु गिरफ्तारी की आशंका के चलते धर्म सिंह सैनी ने कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब उन्हे पूछताछ के लिए आना ही होगा. धर्म सिंह सैनी बीते विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा से नाता तोड़कर सपा में शामिल हो गए थे. सपा के टिकट पर चुनाव भी लड़े थे लेकिन जीत नहीं सके.
चुनाव हारने के बाद से वह भाजपा में वापस लौटने के प्रयास कर रहे थे.अब उनके लिए भाजपा में लौटना भी संभव नहीं होगा क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार में फंसे धर्म सिंह सैनी को पार्टी में वापस लेने के लिए तैयार नहीं होंगे.