तिहाड़ जेल में कैद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने न्यायिक हिरासत के आदेश को चुनौती दी
By भाषा | Published: September 11, 2019 07:53 PM2019-09-11T19:53:51+5:302019-09-11T19:53:51+5:30
चिदंबरम ने उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर कर पांच सितंबर के निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत उन्हें मामले में 19 सितंबर तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। राज्य सभा सदस्य चिदंबरम ने इस आदेश को पूरी तरह से ‘‘बिना कोई कारण का’’ बताया है।
आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में यहां तिहाड़ जेल में कैद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर दावा किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही ‘‘दुर्भावनापूर्ण ’’ है और ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध’’ को लेकर की गई है।
चिदंबरम ने उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर कर पांच सितंबर के निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत उन्हें मामले में 19 सितंबर तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। राज्य सभा सदस्य चिदंबरम ने इस आदेश को पूरी तरह से ‘‘बिना कोई कारण का’’ बताया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की दोनों याचिकाएं न्यायमूर्ति सुरेश कैत के समक्ष सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार के लिए सूचीबद्ध की गई है। चिदंबरम(73) को सीबीआई ने 21 अगस्त को यहां उनके जोरबाग स्थित आवास से गिरफ्तार किया था। उन्होंने निचली अदालत का रुख नहीं किया और नियमित जमानत के लिए सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
INX media case: Delhi High Court listed the hearing of P Chidambaram's plea seeking regular bail and also challenging his judicial custody order given by trial court in the CBI case, tomorrow. (File pic) pic.twitter.com/LjrFfaLiHg
— ANI (@ANI) September 11, 2019
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह कहते हुए जमानत का अनुरोध किया है कि वह कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। समाज से वह गहरा ताल्लुक रखते हैं और वह उन्हें राहत दिए जाने के दौरान उच्च न्यायालय द्वारा लगाई जाने वाली सभी शर्तों का पालन करेंगे। यह याचिका अधिवक्ता अर्शदीप सिंह के मार्फत दायर की गई है।
इसमें कहा गया है, ‘‘...जाहिर है कि यह मामला प्रमाणों से संबंधित है। साथ ही, याचिकाकर्ता एक सम्मानीय नागरिक और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री एवं पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री हैं। याचिकाकर्ता मौजूदा सरकार या निचली अदालत के सुरक्षित कब्जे में रखे इस मामले के साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते और ना ही ऐसा करेंगे।’’
उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका में कहा है, ‘‘चिदंबरम सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक विरोधी हैं और यह राजनीतिक प्रतिशोध का एक स्पष्ट मामला है, जिसमें विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) इकाई के सदस्यों एवं एफआईपीबी बोर्ड (सरकार के छह सचिवों की सदस्यता वाले) ने फैसला लिया था।
साथ ही, तत्कालीन वित्त मंत्री के पद पर रहने के नाते उन्होंने(चिंदबरम ने) 2008 में आईएनएक्स मीडिया नाम की कंपनी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) के संबंध में सिर्फ मंजूरी प्रदान की थी।’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही दुर्भावनापूर्ण है और यह राजनीतिक प्रतिशोध को लेकर की गई।
साथ ही, जांच एजेंसी केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रही है जो उनकी बेदाग छवि को धूमिल और तार-तार करना चाहती है। ’’ उन्होंने कहा कि निचली अदालत के न्यायिक हिरासत के आदेश को गौर से पढ़ने पर यह प्रदर्शित होता है कि यह उसी तरह से जारी किया जैसे सामान्यतया किया जाता है और इस बारे में ध्यान नहीं रखा गया कि इसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘‘रिकार्ड में मौजूद विषय वस्तु से यह जाहिर होता है कि जांच जनवरी 2019 में ही पूरी हो गई, जब उनके खिलाफ मंजूरी मांगी गई थी।’’ याचिका में कहा गया है, ‘‘चिदंबरम सीबीआई/पुलिस हिरासत की अधिकतम इजाजत अवधि में 15 दिनों तक रह चुके हैं।’’
चिंदबरम ने जमानत का अनुरोध करते हुए कहा है कि उन्होंने जांच में सहयोग किया है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेंगे तथा जांच एजेंसी या निचली अदालत के बुलाने पर सहयोग करेंगे। उन्होंने यह भी दलील दी है कि मामले में उनके बेटे कार्ति और आईएनएक्स मीडिया की प्रमोटर इंद्राणी बनर्जी एवं पीटर मुखर्जी सहित अन्य सभी आरोपी नियमित जमानत या अग्रिम जमानत या वैधानिक जमानत पर हैं।