विदेशी चंदे पर नजर रखने की जिम्मेदारी वित्त के बजाय गृह मंत्रालय को सौंपे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
By विशाल कुमार | Published: November 10, 2021 07:47 AM2021-11-10T07:47:25+5:302021-11-10T07:50:11+5:30
केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विदेशी चंदा प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और अगर इसे विनियमित नहीं किया गया तो इसके ‘विनाशकारी परिणाम’ हो सकते हैं.
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकार से सवाल उठाया कि विदेशी अंशदान विनियमन कानून के तहत गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को मिलने वाले विदेशी चंदे पर नजर रखने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय को क्यों दी गई है?
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि पूरे ऑपरेशन को वित्त विभाग के बजाय गृह मंत्रालय के अधीन क्यों लाया गया है?
यह सवाल विदेशी अंशदान (विनियमन) कानून (एफसीआरए), 2010 में 2020 में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पूछा गया.
याचिकाओं में तर्क दिया गया कि संशोधनों ने गैर-सरकारी संगठनों द्वारा अपनी गतिविधियों के लिए विदेशी धन के उपयोग और देश के भीतर अन्य परोपकारी संगठनों को हस्तांतरण को गंभीर रूप से प्रतिबंधित कर दिया है.
केंद्र ने दिया आईबी सूचना का हवाला
केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विदेशी चंदा प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और अगर इसे विनियमित नहीं किया गया तो इसके ‘विनाशकारी परिणाम’ हो सकते हैं.
विदेशी अंशदान (विनियमन) कानून (एफसीआरए), 2010 में किए गए संशोधनों का बचाव करते हुए सरकार ने जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि बदलाव का उद्देश्य अनुपालन तंत्र को सुव्यवस्थित करना और पारदर्शिता तथा जवाबदेही बढ़ाना है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि विदेशी अंशदान प्राप्त करने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और इसे विनियमित किया जाना है.’’
मेहता ने पीठ से कहा कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) से मिली सूचना के मुताबिक ऐसे उदाहरण हैं कि विदेशी योगदान से प्राप्त कुछ धन का दुरुपयोग नक्सलियों के प्रशिक्षण के लिए किया गया है.
विदेशी चंदे को लेकर स्पष्ट नीति
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत हमेशा विदेशी चंदा के बारे में बहुत जागरूक रहा है और इस तरह के वित्तपोषण के किसी भी दुरुपयोग से बचने के लिए एक नीति रही है.
मेहता ने कहा कि प्रत्येक विदेशी अंशदान केवल एफसीआरए खाते के रूप में नामित खाते में प्राप्त किया जाएगा, जो कि नयी दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मुख्य शाखा में खोला जाएगा.
उन्होंने इस मामले में केंद्र द्वारा शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि प्रक्रिया के आधार पर एसबीआई, नयी दिल्ली की मुख्य शाखा में 19,000 से अधिक खाते पहले ही खोले जा चुके हैं.
पीठ ने की सुनवाई पूरी
पीठ ने विदेशी अंशदान विनियमन (संशोधन) कानून, 2020 से संबंधित मुद्दों को उठाने वालों सहित कई याचिकाओं पर अपनी सुनवाई पूरी कर ली है.
शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि केंद्र और याचिकाकर्ताओं की ओर से एक सप्ताह के भीतर लिखित दलीलें दाखिल की जाएं.
इससे पहले अदालत में दाखिल अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि बिना किसी नियमन के ‘‘बेलगाम विदेशी चंदा’’ प्राप्त करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है.