बिहार में बाढ़ ने मचाई तबाही, राज्य के 14 जिलों के 45 लाख लोग प्रभावित, लोगों को नहीं मिल रहा है शुद्ध पेयजल
By एस पी सिन्हा | Published: July 31, 2020 08:01 PM2020-07-31T20:01:28+5:302020-07-31T20:21:29+5:30
कृषि सचिव डॉ. एन सरवण कुमार ने कहा कि बाढ़ की स्थिति वाले जिलों में प्रारम्भिक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 4.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल को नुकसान हुआ है.
पटना: बिहार में बाढ़ का प्रकोप बढता जा रहा है. दो नए जिले सिवान और मधुबनी भी बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. बाढ़ की राजधानी कहे जाने वाले इस क्षेत्र के लोगों की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. घरों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है.
सिर ढकने के लिए प्लास्टिक तान रखा है. सामुदायिक किचन से भोजन मिल जाता है, लेकिन शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा. बाढ़ के पानी से ही प्यास बुझाते हैं. इधर, जलस्तर में एक बार फिर तेजी से वृद्धि होने लगी है.
इससे प्रखंड के सभी पंचायतों की स्थिति भयावह हो गई है. घरों में पानी रहने पर कई लोग चौकी पर चौकी लगा रहने के लिए मजबूर हैं.बाढ़ का पानी राज्य के 14 जिलों के 110 प्रखंडों की 1012 पंचायतों में घूस गया है.
इससे 45 लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं. आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्रडु ने आज प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि बाढ़ पीडित एक लाख 42 हजार परिवारों के खाते में छह-छह हजार की सहायता राशि भेज दी गई है. इसकी सूचना भी एसएमएस के माध्यम से परिवार को दे दी गई है. शेष परिवारों के खाते में भी शीघ्र ही राशि भेज दी जाएगी.
राज्य के विभिन्न जिलों में 1193 सामुदायिक किचेन राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे हैं, जिनमें प्रतिदिन सात लाख 70 हजार लोग भोजन कर रहे हैं. वहीं विभिन्न जिलों में 19 राहत केंद्र चल रहे हैं, जिनमें 27 हजार लोग रह रहे हैं.
वहीं, कृषि सचिव डॉ. एन सरवण कुमार ने कहा कि बाढ़ की स्थिति वाले जिलों में प्रारम्भिक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 4.87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाढ से फसल को नुकसान हुआ है. लेकिन पानी के निकल जाने के बाद वास्तविक नुकसान का आकलन होगा, उसके बाद इसकी भरपाई आपदा प्रबंधन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि खरीफ में सामान्य से 46 प्रतिशत ज्यादा वर्षा होने और नदियों में जल स्तर बढ़ने के कारण विभिन्न जिलों में फसल विशेषकर धान को नुकसान हुआ है.
रोपनी का लक्ष्य 33 लाख हेक्टेयर का है. अब तक 29.22 लाख हेक्टेयर यानी 90 प्रतिशत क्षेत्र में धान की रोपनी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि हर खेत को पानी के सर्वेक्षण वैसे सभी जिले में शुरू हो गया जो बाढ़ से प्रभावित नहीं हैं.