CJI रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच सदस्यीय पीठ करेगी आयोध्या मामले की सुनवाई 

By रामदीप मिश्रा | Published: January 8, 2019 05:17 PM2019-01-08T17:17:20+5:302019-01-08T17:18:45+5:30

उच्च न्यायालय ने इस विवाद में दायर चार दीवानी वाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था।

Five judge Constitution bench of Supreme Court to hear Ayodhya case on January 10 | CJI रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच सदस्यीय पीठ करेगी आयोध्या मामले की सुनवाई 

CJI रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच सदस्यीय पीठ करेगी आयोध्या मामले की सुनवाई 

सुप्रीम कोर्ट राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में दायर अपीलों पर 10 जनवरी से सुनवाई शुरू करेगा। मिली जानकारी के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीश पीठ अयोध्या मामले की सुनवाई करेगी। 

बताया जा रहा है कि सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा अन्य चार जज जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रामना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ हैं। बता दें, इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के लिये तीन सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ गठित किये जाने की उम्मीद जताई जा रही थी।



उच्च न्यायालय ने इस विवाद में दायर चार दीवानी वाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी।

बाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने एक अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था परंतु न्यायालय ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि 29 अक्टूबर को ही इस मामले की सुनवाई के बारे में आदेश पारित किया जा चुका है। 

हिन्दू महासभा इस मामले में मूल वादकारियों में से एक एम सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है। इससे पहले, 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गयी टिप्पणी पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास नये सिरे से विचार के लिये भेजने से इंकार कर दिया था। इस फैसले में टिप्पणी की गयी थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।

अयोध्या प्रकरण की सुनवाई के दौरान एक अपीलकर्ता के वकील ने 1994 के फैसले में की गयी इस टिप्पणी के मुद्दे को उठाया था। अनेक हिन्दु संगठन विवादित स्थल पर राम मंदिर का यथाशीघ्र निर्माण करने के लिये अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं।

इस बीच, शीर्ष अदालत में शुक्रवार को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण हो गयी है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को ही कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के मामले में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अध्यादेश लाने के बारे में निर्णय का सवाल उठेगा।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

Web Title: Five judge Constitution bench of Supreme Court to hear Ayodhya case on January 10

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