जनहित याचिकाएं दाखिल करना अपने आप में एक उद्योग बन गया है: केन्द्र

By भाषा | Updated: September 27, 2021 19:26 IST2021-09-27T19:26:40+5:302021-09-27T19:26:40+5:30

Filing of PILs has become an industry in itself: Center | जनहित याचिकाएं दाखिल करना अपने आप में एक उद्योग बन गया है: केन्द्र

जनहित याचिकाएं दाखिल करना अपने आप में एक उद्योग बन गया है: केन्द्र

नयी दिल्ली, 27 सितंबर केन्द्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को कहा कि जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दाखिल करना अपने आप में एक उद्योग और करियर बन गया है। उसने तर्क दिया कि गुजरात-कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति में कोई हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष तर्क दिया, ‘‘(वे कहते हैं) यहां अच्छे अधिकारी हैं। वे कौन है? क्या वे व्यक्ति हैं जिन्हें संभवतः बुरा लगा? जनहित याचिका एक उद्योग है, अपने आप में एक करियर है, जिसकी परिकल्पना नहीं की गई थी।’’

पीठ ने अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ वकील सद्र आलम की जनहित याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

केंद्र की ओर से पेश मेहता ने कहा कि अस्थाना को राष्ट्रीय राजधानी में लागू होने वाली उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था।

अस्थाना का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ के समक्ष दावा किया कि याचिकाकर्ता ‘‘किसी ऐसे व्यक्ति के लिए एक प्रतिनिधि (प्रॉक्सी) था जो सामने नहीं आना चाहता’’ और ‘व्यक्तिगत प्रतिशोध’’ रखता है।

केंद्र और अस्थाना दोनों ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) द्वारा दाखिल हस्तक्षेप याचिका पर आपत्ति जताई, जो नियुक्ति के खिलाफ पहले ही उच्चतम न्यायालय का रुख कर चुकी है।

वरिष्ठ वकील रोहतगी ने कहा, ‘‘न तो याचिकाकर्ता और न ही हस्तक्षेपकर्ता दुर्भावनापूर्ण आचरण के कारण अदालत द्वारा सुनवाई के हकदार हैं।’’

सीपीआईएल का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र का यह रुख कि उसे दिल्ली आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए केंद्र शासित प्रदेश के कैडर में कोई योग्य अधिकारी नहीं मिला, “आश्चर्यजनक” था और इसका “निराशाजनक प्रभाव” था।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील बी एस बग्गा ने दुर्भावना के आरोपों से इनकार किया और तर्क दिया कि अस्थाना की नियुक्ति स्थापित सेवा कानून से संबद्ध नहीं है।

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना को गुजरात काडर से यूनियन काडर में लाया गया था। सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक अस्थाना को 31 जुलाई को सेवानिवृत्त से चार दिन पहले, 27 जुलाई को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया। उनका राष्ट्रीय राजधानी के पुलिस प्रमुख के तौर पर कार्यकाल एक साल का होगा।

याचिका में याचिकाकर्ता ने गृह मंत्रालय द्वारा अस्थाना को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के 27 जुलाई के आदेश को रद्द करने और उन्हें अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति और सेवा विस्तार देने के आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है।

उच्चतम न्यायालय ने 25 अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय से दिल्ली के पुलिस आयुक्त के तौर पर वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती देने वाली लंबित याचिका पर दो हफ्ते के अंदर निर्णय करने को कहा था।

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