लाइव न्यूज़ :

बेटा 18 साल का हो गया तो पिता उसकी शिक्षा का खर्च उठाने से इनकार नहीं कर सकता: दिल्ली हाई कोर्ट

By विनीत कुमार | Updated: October 18, 2021 10:28 IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि बेटा अगर बालिग हो गया तो इसका ये मतलब नहीं कि पिता उसकी शिक्षा के लिए खर्च देना बंद कर दे।

Open in App

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि एक पिता अपने बेटे के बालिग हो जाने के बावजूद उसकी शिक्षा के लिए खर्च वहन करने से इनकार नहीं कर सकता है। एक मामले की सुनवाई करत हुए कोर्ट ने ये टिप्पणी की।

कोर्ट ने 18 साल की उम्र के बाद अपने बेटे की शिक्षा के लिए भुगतान करने से खुद को मुक्त करने की मांग करने वाले एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पिता को वित्तीय बोझ उठाना चाहिए ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि उसके बच्चे समाज में एक स्थान प्राप्त करें और सक्षम बनें।

कोर्ट ने साथ ही कहा कि एक मां पर अपने बेटे की शिक्षा के खर्च का बोझ सिर्फ इसलिए नहीं दिया जा सकता है क्योंकि उसने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली है।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘पिता को अपने बेटे की शिक्षा के खर्चों को पूरा करने के लिए सभी जिम्मेदारियों से केवल इसलिए मुक्त नहीं किया जा सकता है कि उसका बेटा बालिग हो गया है। हो सकता है कि वह आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हो और खुद का गुजारा करने में असमर्थ हो। एक पिता अपनी पत्नी को मुआवजा देने के लिए बाध्य है, क्योंकि बच्चों पर खर्च करने के बाद, शायद ही उसके पास अपने लिए कुछ बचे।’

क्या है पूरा मामला

कोर्ट ने यह आदेश एक शख्स की उस याचिका को खारिज करते हुए दिया जिसमें हाई कोर्ट के उस आदेश की समीक्षा करने का अनुरोध किया गया था, जिसमें उसे अपनी अलग रह रही पत्नी को तब तक 15,000 रुपये का मासिक अंतरिम गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था जब तक कि बेटा स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं कर लेता या वह कमाने नहीं लग जाता। 

इससे पहले एक फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया था कि बेटा वयस्क होने तक भरण-पोषण का हकदार है जबकि बेटी रोजगार मिलने या शादी होने तक भरण-पोषण की हकदार होगी। हाई कोर्ट ने कहा कि यह सच है कि ज्यादातर घरों में महिलाएं सामाजिक-सांस्कृतिक और संरचनात्मक बाधाओं के कारण काम करने में असमर्थ हैं और इस तरह वे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हो पाती हैं। 

बता दें कि जोड़े ने नवंबर 1997 में शादी की थी और उनके दो बच्चे हुए। नवंबर 2011 में उनका तलाक हो गया और बेटा और बेटी अब 20 और 18 साल के हैं।

कोर्ट को यह भी बताया गया कि महिला दिल्ली नगर निगम में अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में काम कर रही है और प्रति माह लगभग 60,000 रुपये कमाती है। वहीं, रिकॉर्ड बताते हैं कि शख्स  कि नवंबर-2020 तक मासिक आय 1.67 लाख रुपये थी।

टॅग्स :दिल्ली हाईकोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

बॉलीवुड चुस्कीDhurandhar Release Row: दिल्ली हाईकोर्ट ने CBFC से सर्टिफिकेशन से पहले शहीद मेजर मोहित शर्मा के परिवार की चिंताओं पर विचार करने को कहा

भारतपति क्रूरता साबित करने में नाकाम और दहेज उत्पीड़न आरोपों को ठीक से खारिज नहीं कर पाया, दिल्ली उच्च न्यायालय का अहम फैसला

बॉलीवुड चुस्कीसंजय कपूर संपत्तिः 30,000 करोड़ रुपये?, सारी संपत्ति पत्नी को देना ‘स्वस्थ परंपरा’, पत्नी प्रिया कपूर ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा, करिश्मा कपूर के बच्चों ने पेंच फंसाया?

क्राइम अलर्टरिश्वत का पैसा शेयर बाजार में निवेश कर मुनाफा कमाया तो अपराध से अर्जित आय माना जाएगा, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा-धन शोधन अपराध

भारतसहकर्मी की पत्नी से ‘अवैध संबंध’, मोबाइल, सोने का लॉकेट और ड्रेस उपहार में क्यों दी?, पति की अनुपस्थिति में घर जाना, बीएसएफ अधिकारी की बर्खास्तगी बरकरार

भारत अधिक खबरें

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत