किसानों का 'दिल्ली कूच', राजधानी में हाई अलर्ट, पुलिस सीमाओं पर डटी किसानों को रोकने के लिए, जानिए ताजा हालात
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 13, 2024 08:50 AM2024-02-13T08:50:26+5:302024-02-13T08:55:22+5:30
किसान विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर देश की राजधानी से लगी सीमाओं पर दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की चौकसी बढ़ा दी गई है।
नई दिल्ली: किसान विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर देश की राजधानी से लगी सीमाओं पर दिल्ली पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की चौकसी बढ़ा दी गई है। बीते सोमवार को केंद्र सरकार और किसानों नेताओं के बीच हुई वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद सरकार अलर्ट मोड पर है।
देश की राजधानी में कानून-व्यवस्था को सामान्य बनाये रखने के लिए दिल्ली की सभी सीमाओं को सील करने का आदेश दिया गया है ताकि प्रदर्शन पर अड़े किसान दिल्ली में कदम न रख सकें।
समाचार वेबसाइट इंडिया टुडे के अनुसार किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच समझौते के लिए हुई महत्वपूर्ण बैठक सोमवार देर रात बिना किसी समाधान के समाप्त हो गई, जिसके बाद किसानों ने मंगलवार को 'दिल्ली चलो' विरोध को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
जानकारी के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच घंटों चली बातचीत के बावजूद दोनों पक्ष किसी भी समझौते पर पहुंचने में विफल रहे। हालांकि, सरकार ने कहा कि अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है और एक समिति के गठन के माध्यम से कुछ अन्य को हल करने का एक फॉर्मूला प्रस्तावित किया गया है।
वहीं दूसरी ओर राजधानी में किसानों के आंदोलन की आशंका के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं। दिल्ली में सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है और कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी सीमाओं को सील कर दिया गया है ताकि किसानों का प्रवेश प्रतिबंधित किया जा सके।
पूरी दिल्ली में सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं और शहर की सीमाएं पुलिस छावनी में बदल गई हैं। दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने 12 मार्च तक बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने, रैलियों, ट्रैक्टर प्रवेश और हथियार या ज्वलनशील वस्तुओं को ले जाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया गया है।
केंद्रीय मंत्रियों के साथ पांच घंटे की बैठक बेनतीजा रहने के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने ऐलान किया कि किसान मंगलवार को दिल्ली मार्च करेंगे। पंधेर ने कहा, "हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी किसी भी मांग पर गंभीर है। हमें नहीं लगता कि वे हमारी मांगों को पूरा करना चाहते हैं। अगर सरकार ने हमें कुछ भी पेशकश की होती तो हम अपने आंदोलन को वापस लेने पर पुनर्विचार कर सकते थे।"
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल के साथ वार्ता में भाग लेने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों के साथ हुई वार्ता के बाद संकेत दिया कि अधिकांश मुद्दों पर आम सहमति बन गई है। एक समिति के गठन के माध्यम से शेष चिंताओं के समाधान के लिए प्रस्ताव रखे गए हैं। उन्होंने कहा, ''हमें अब भी उम्मीद है कि किसान संगठन बातचीत करेंगे।''
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्र 2020-21 के आंदोलन से किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने पर सहमत हो गया, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग करने वाले नेताओं को समझाने में विफल रहा।